उत्तर प्रदेश के रामपुर में हिंदू घरों में बाइबिल... और सौदेबाजी में आस्था!
रामपुर, उत्तर प्रदेश
सोचिए... कोई आपके घर में आए और आपको आपके ही देवी-देवताओं से दूर करने की कोशिश करे। आपके आराध्य, आपकी संस्कृति, आपके संस्कार... सब कुछ छोड़कर किसी और मजहब को अपनाने का दबाव डाले। कुछ ऐसा ही शर्मनाक मंजर उत्तर प्रदेश के एक गांव में देखने को मिला। जहां भोले-भाले हिंदू परिवारों के बीच बैठकर बाइबिल के पन्ने खोले जा रहे थे। ये कोई आध्यात्मिक चर्चा नहीं थी... ये आस्था की खुली नीलामी थी।
मुफ्त शिक्षा, नौकरी, पैसों का लालच… और बदले में सौदा था—अपने धर्म का, अपने भगवान का। जिनके पुरखों ने सनातन की जड़ें सींची, उन्हें ही उनकी जड़ों से काटने का षड्यंत्र रचा जा रहा था। बाहर से आए लोग गांव की जमीन पर बैठकर बताते थे कि तुम्हारे भगवान तुम्हें कुछ नहीं दे सकते... आओ, अपना धर्म बदलो। ऐसे लोगों पर प्रशासन ने कड़ी कारवाई करते हुए 4 लोगों को गिरफ्तार किया है... लेकिन प्रश्न ये है—कैसी मानसिकता है ये? क्यों कुछ लोगों को हिंदू आस्था से इतनी जलन है? क्यों बार-बार सनातन पर प्रहार करने की कोशिशें होती हैं? ये केवल मतान्तरण नहीं... ये मन, मस्तिष्क और आत्मा पर कब्जा करने का षड्यंत्र है।
लेकिन ये भूल गए कि सनातन कोई काँच की दीवार नहीं... जिसे थोड़ी सी ठोकर से तोड़ा जा सके। सनातन तो वटवृक्ष है... जितना काटोगे, उतना ही और मजबूत होकर उग आएगा। जिस धर्म की जड़ें वेदों से निकलती हैं... जिसका इतिहास लाखों वर्षों पुराना है... जिसे न तलवार हिला सकी, न लालच डिगा सका, न क्रूर आक्रमण मिटा सके... उसे ये चालें क्या मिटा पाएंगी? आज भी सनातन की भूमि पर कोई भी ऐसी नीच सोच सिर नहीं उठा सकती।
जिनके खून में भगवा बहता है... जिनके संस्कारों में श्रीराम, श्रीकृष्ण और शिव बसे हैं... वो सिर झुका सकते हैं, लेकिन अपनी आस्था नहीं बेच सकते। सनातन तो वही अग्नि है, जो जितना जलाओगे... उतना ही तेजोमय हो जाएगा और याद रखना... जहाँ-जहाँ ऐसी षड्यंत्र रची जाएंगी, वहीं-वहीं धर्म की रक्षा के लिए जयघोष गूंजेगा।