भारत एक ऐसा देश जहाँ हर कण में संस्कृति है, हर शिल्प में आत्मा है, और हर हाथ में सृजन की शक्ति। स्वदेशी कोई नया विचार नहीं, यह तो हमारी आत्मा में रचा-बसा हुआ संस्कार है। आज जब हम आत्मनिर्भर भारत की ओर कदम बढ़ा रहे हैं, जिसमें सबसे पहला प्रयास है। अपने देश पर विश्वास, अपने उत्पादों, अपने कारीगरों, अपने किसानों और अपने उद्यमियों पर गर्व करना। हम हर बार जब कोई भी स्वदेशी उत्पाद चुनते हैं, तब हम केवल एक वस्तु नहीं खरीदते, बल्कि एक सोच को अपनाते हैं, और वह सोच है स्वदेशी जिसको अपनाकर हम भारत को आगे बढ़ाने का प्रण लेते हैं। हमारे शिल्प, हमारे उत्पाद – ये सब सिर्फ चीजें नहीं हैं, ये भारत की आत्मा के प्रतिबिंब हैं, जो हमे वस्तुओं के रूप में दिखाई देते हैं, हर किसान, हर बुनकर, हर इंजीनियर, हर शिल्पकार भारत को फिर विश्वगुरु बनाने के सच्चे नायक हैं।
जब हम अपने देश के कुम्हारों के बने दिए जलाते हैं, तो वो सिर्फ मिट्टी के दिए नहीं होते। वो होते हैं आशा के, आत्मविश्वास के, और भारत के स्व को आगे बढ़ाने के स्वप्न को साकार करने वाले प्रकाश पुंज। आइए इस दिवाली भी स्वदेशी वस्तुएं अपना कर अपने ‘स्व’ की ओर आगे बढ़ें,
इस बार स्वदेशी उपहार खरीदिए
स्थानीय कुम्हार से दीये
लीजिए
देश में बने कपड़े पहनिए