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भिक्षावृत्ति में फंसे बच्चों को शिक्षा से जोड़ रहीं गुंजन बिष्ट

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हल्द्वानी

जब बच्चे भीख मांगते हैं, तो उनका बचपन और सपने सब कुछ धीरे-धीरे खो जाता है।  इसीलिए हल्द्वानी की गुंजन बिष्ट अरोरा इन बच्चो के लिए वरदान बन कर आई और इस सामाजिक बुराई के खिलाफ गुंजन ने आवाज उठाई साथ ही बच्चों की जिंदगी शिक्षा से संवारने का काम शुरू किया। जी हां पिछले 12 वर्षों से गुंजन ऐसे बच्चों को स्कूल तक पहुंचाने और उन्हें आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में लगातार काम कर रही हैं। उनके दृढ़ इरादो ने न केवल बच्चों का भविष्य बदला है, बल्कि समाज के सोचने का नजरिया भी बदला है। बता दें गुंजन बिष्ट अरोरा साल 2013 से “वीरांगना संस्था” के माध्यम से भिक्षावृत्ति और कूड़ा बीनने वाले बच्चों को शिक्षा से जोड़ने का काम कर रही हैं। अब तक वह 295 बच्चों को नया जीवन दे चुकी हैं, जिनमें से करीब 180 बेटियां हैं। जिन हाथों में पहले भीख का कटोरा था, उन्हीं हाथों में अब किताबें, कॉपियां हैं। वही इस साल की बात करें तो गुंजन की मेहनत रंग लाई जब 30 बच्चों ने आठवीं कक्षा पास की। अब ये बच्चे नौवीं में प्रवेश लेने जा रहे हैं। वहीं, 29 और बच्चे पहली बार स्कूल की दहलीज पार करने को तैयार हैं। बच्चों की पढ़ाई, ड्रेस, भोजन और बाकी जरूरतों का सारा खर्च गुंजन स्वयं उठाती हैं। जानकारी के अनुसार गुंजन ने अपने ही घर में “वीरांगना केंद्र” बनाया है, जहां बच्चों को पहले लाकर शिक्षा के प्रति जागरूक किया जाता है। जब बच्चे पढ़ाई में रुचि लेने लगते हैं, तब उन्हें स्कूल में दाखिला दिलवाया जाता है। इस केंद्र में बच्चों को किताबों के साथ-साथ पोषण, कपड़े और एक सुरक्षित माहौल भी मिलता है। इस काम में उन्हें कुछ सामाजिक संगठनों और स्थानीय लोगों का भी सहयोग मिलता है। गुंजन बिष्ट अरोरा का यह कदम समाज के लिए बहुत बड़ा उदाहरण है और इस पहल से यह तो साफ हो गया कि, अगर हम समाज में बदलाव लाना चाहते है तो सबसे पहले शुरुआत हमें स्वयं से करनी होती हैं। तब जाकर हम समाज में बदलाव ला सकते है।

MUSKAN DIXIT (20)