- राम मंदिर में कुल 14 पुजारियों को नियुक्त किया गया है
- ड्यूटी दो पालियों में बांटी गई , जिससे पूजा-अर्चना बिना किसी व्यवधान के चलती रहे
अयोध्या। अयोध्या के प्रतिष्ठित राम मंदिर में नए पुजारियों की नियुक्ति की गई है। मंदिर प्रबंधन ट्रस्ट ने पूजा-अर्चना को व्यवस्थित और अनुशासित बनाने के लिए कुछ महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं। इसके तहत पुजारियों की ड्यूटी का नया स्वरूप तय किया गया है, साथ ही उनके कार्यों और व्यवहार को लेकर सख्त नियम लागू किए गए हैं।
राम मंदिर में कुल 14 पुजारियों को नियुक्त किया गया है। इन पुजारियों को सात-सात के दो समूहों में विभाजित किया गया है।
ड्यूटी का विभाजन -
• चार पुजारी गर्भगृह के अंदर पूजा-अर्चना करेंगे।
• तीन पुजारी गर्भगृह के बाहर अपनी सेवाएं देंगे।
• सभी पुजारियों की ड्यूटी दो पालियों में बांटी गई है, जिससे दिनभर पूजा-अर्चना बिना किसी व्यवधान के चलती रहे।
अन्य मंदिरों में नियुक्ति :
राम मंदिर के साथ-साथ कुबेर टीला और हनुमान मंदिर में भी पूजा के लिए पुजारियों को इसी व्यवस्था के तहत नियुक्त किया गया है।
एंड्रॉयड फोन पर रोक :
पुजारियों को मंदिर परिसर में एंड्रॉयड फोन का इस्तेमाल करने की अनुमति नहीं होगी। यह फैसला मंदिर में ध्यान और आध्यात्मिकता के माहौल को बनाए रखने के लिए लिया गया है।
ड्रेस कोड :
पुजारियों के लिए विशेष ड्रेस कोड अनिवार्य किया गया है। इसमें शामिल है:
• पीली चौबंदी
• धोती
• कुर्ता
• सिर पर पीली पगड़ी
• भगवा रंग के वस्त्रों को भी शामिल किया जाएगा।
रामजन्मभूमि परिसर में कुल 19 मंदिर निर्माणाधीन हैं। सभी मंदिरों में विधिपूर्वक पूजा-अर्चना सुनिश्चित करने के लिए पुजारियों की संख्या बढ़ाई जाएगी।
नए बैच का प्रशिक्षण :
दूसरे बैच के पुजारियों का प्रशिक्षण जल्द शुरू किया जाएगा।
पूजा व्यवस्था का विस्तार :
इन मंदिरों के निर्माण के बाद अतिरिक्त पुजारियों की आवश्यकता होगी। इसके लिए योग्य और प्रशिक्षित पुजारियों को तैयार किया जाएगा।
मंदिर ट्रस्ट का कहना है कि इन बदलावों का उद्देश्य :
• पूजा-पद्धति को अधिक व्यवस्थित और प्रभावी बनाना।
• मंदिर में अनुशासन और आध्यात्मिकता के वातावरण को बनाए रखना।
• श्रद्धालुओं को भव्य और संतुलित पूजा-अर्चना का अनुभव प्रदान करना।
अयोध्या राम मंदिर भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिकता का केंद्र है। मंदिर की पूजा व्यवस्था में ये बदलाव इसे और अधिक व्यवस्थित और भव्य बनाने का प्रयास है। यह न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि इस पहल का उद्देश्य श्रद्धालुओं को सकारात्मक और अनुशासित माहौल प्रदान करना भी है।