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जानिए गोवर्धन पूजा का महत्व

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दीपावली के बाद मनाए जाने वाले पर्वों में से एक पर्व है गोवर्धन पूजा का पर्व। यह पर्व भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति, प्रकृति के सम्मान और कृषि के महत्व को दर्शाता है, जी हां हर साल दिवाली के अगले दिन गोवर्धन पूजा का त्योहार पूरे भारत में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। यह पर्व कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को आता है। मथुरा, वृंदावन, गोवर्धन और ब्रज में इस उत्सव की भव्यता देखने को मिलती है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण, गोवर्धन पर्वत और गायों की पूजा की जाती है। श्रद्धालु गायो को चारा खिलाते हैं और भगवान को प्रसन्न करने के लिए 56 भोग जिसे अन्नकूट भी कहा जाता है, वह भी अर्पित करते हैं। ऐसी मान्यता है कि इस दिन पूजा करने से व्यक्ति अपने सभी दुखों से मुक्त हो जाता है।

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गोवर्धन पूजा का महत्व

यह पर्व भगवान श्रीकृष्ण द्वारा इंद्रदेव के अहंकार को शांत करने और गांववासियों की रक्षा करने की कथा से जुड़ा हुआ है। जब इंद्रदेव ने अहंकार में आकर लगातार वर्षा कर गांव को डुबाने की कोशिश की, तब भगवान कृष्ण ने अपनी छोटी उंगली पर गोवर्धन पर्वत उठाकर सभी की रक्षा की। तभी से इस दिन को गोवर्धन पूजा या अन्नकूट के रूप में मनाया जाने लगा।

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गोवर्धन पूजा कैसे मनाई जाती है

इस दिन भक्त मिट्टी, गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत का प्रतीक बनाते हैं, जिसे फूलों, दीपों और व्यंजनों से सजाया जाता है। इसे अन्नकूट कहा जाता है, जिसका अर्थ है  अनाज का पर्वत। 

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गोवर्धन पूजा 2025 का शुभ मुहूर्त

वैदिक पंचांग के अनुसार, इस वर्ष कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा तिथि की शुरुआत 21 अक्टूबर को शाम 05:54 बजे से होगी और इसका समापन 22 अक्टूबर को रात 08:16 बजे पर होगा। गोवर्धन पूजा न केवल भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति का प्रतीक है, बल्कि यह हमें प्रकृति, अन्न और जीव-जंतुओं के प्रति आभारी होने का संदेश भी देती है।