पंच उत्सव पर आत्मनिर्भरता का ‘उल्लास’
पंच उत्सव को लेकर हर ओर उल्लास है। बच्चे,
बड़े, बूढ़े, महिलाएं मिलजुलकर घरों को दुल्हन की तैयार सजा रहे हैं। रंग-बिरंगी
रोशनी से घरों से लेकर बाजार तक सज गए हैं। लेकिन दीपावली पर इस बार मिठाई, पकवानों के साथ-साथ एक और भीनी सी खुश्बू हर
भारतीय को आकर्षित कर रही है। वह है आत्मनिर्भरता की खुश्बू ,उत्तराखण्ड की राजधानी देहरादून के बाजार में
जहां तरह-तरह के पहाड़ी व्यंजन जैसे अरसा, रोट, ड्राईफ्रूट्स के लड्डू, पापड़ और
दाल की पकौड़ी अपनी ओर खींच रही हैं। वहीं गाय के गोबर से बने दीये और भगवान
गणेश-लक्ष्मी की मूर्तियाँ भी भारतीयता की महक बिखेर रही हैं। स्वयं सहायता समहू
से जुड़ी महिलाएं गोबर से मूर्तियों और दीयों को आकार दे रही हैं। ऐसे ही कुछ प्रयास उत्तर प्रदेश से भी हो रहे
हैं। हापुड़ के पिलखुवा में गाय के गोबर से आकर्षक डिजाइन वाली मूर्तियाँ, हवन
सामग्री, धूप, अगरबत्ती तैयार हो रही हैं। वहीं अमरोहा में नर्सरी संचालक के सराहनीय प्रयास
की चर्चा हो रही है। नर्सरी संचालक नौशे खाँ पर्यावरण संरक्षण को लेकर न केवल
लोगों को जागरुक कर रहे हैं, अपितु दीपावली पर्व पर मिठाई की जगह उपहार के रूप में
पौधे देने को प्रोत्साहित कर रहे हैं।
