- आयकर विभाग के आदेश को नई दिल्ली स्थित निर्णायक प्राधिकारी ने सही ठहराते हुए स्थायी जब्तीकरण आदेश जारी कर दिया है। इन संपत्तियों का वर्तमान बाजार मूल्य 6.35 करोड़ रुपये से अधिक है।
- अतीक ने सूरजपाल के नाम से 10 वर्षों में प्रयागराज और उसके आसपास के इलाके में करीब 80 करोड़ रुपये से अधिक की 100 बीघा जमीन खरीदी थी।
माफिया अतीक अहमद का अस्तिव्व मिट्टी में मिल गया है। लेकिन उसके द्वारा किए गए कुकर्म का खामियाजा उसके परिवार के लोग उठा रहे हैं। उसके द्वारा इकट्ठा की गई बेनामी संपत्ति को सरकार एक-एक कर समेट रही है। अतीक अहमद की कई करोड़ की संपत्तियां सरकारी घोषित कर दी गई हैं। इन संपत्तियों का वर्तमान बाजार मूल्य 6.35 करोड़ रुपये से अधिक है।
आयकर विभाग की ओर से डेढ़ साल पहले माफिया अतीक अहमद की जब्त की गईं छह बेनामी संपत्तियां अब सरकारी हो गई हैं। आयकर विभाग के आदेश को नई दिल्ली स्थित निर्णायक प्राधिकारी ने सही ठहराते हुए स्थायी जब्तीकरण आदेश जारी कर दिया है। इन संपत्तियों का वर्तमान बाजार मूल्य 6.35 करोड़ रुपये से अधिक है। इसे अतीक ने अपने गुर्गे मोहम्मद अशरफ उर्फ लल्ला के नौकर (चौकीदार) सूरजपाल के नाम पर खरीदा था।
दरअसल, अतीक की संपत्तियों की जांच के दौरान विभाग काे पता चला था कि उसने सूरजपाल के नाम पर तमाम जमीनों को खरीदा है। इसके बाद आयकर विभाग, लखनऊ की बेनामी संपत्ति निषेध इकाई ने प्रयागराज में स्थित इन छह संपत्तियों को जब्त कर लिया था। विभाग ने जब बीपीएल कार्डधारक सूरज पाल के बारे में गहनता से जांच की तो पता चला कि वर्ष 2018 से पहले भी उसके नाम से कई संपत्तियों को खरीदा गया था। तमाम बेशकीमती संपत्तियों का मालिक होने के बावजूद सूरज पाल ने कभी अपना रिटर्न दाखिल नहीं किया, जबकि वह 2018 तक अपनी 11 संपत्तियों को बेच भी चुका था। अतीक ने सूरजपाल के नाम से 10 वर्षों में प्रयागराज और उसके आसपास के इलाके में करीब 80 करोड़ रुपये से अधिक की 100 बीघा जमीन खरीदी थी। विभाग ने अशरफ और सूरजपाल को कई बार नोटिस देकर तलब भी किया, लेकिन अशरफ जेल में होने की वजह से पेश नहीं हुआ और सूरजपाल ने भी कोई ध्यान नहीं दिया।
ये संपत्तियां हुई थी जब्त -
विभाग ने प्रयागराज में बेनीगंज दरियाबाद स्थित तीन संपत्तियों को जब्त किया था, इसी तरह गौसपुर सदर के दो भूखंड और बजहा सदर की एक भूखंड को जब्त किया था। पता चला कि इन्हें खरीदने के लिए 2.38 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया था।