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आपदा में सेवा का संकल्प: विपरीत परिस्थितियों में स्वयंसेवकों की मिसाल

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आपदा में सेवा का संकल्प: विपरीत परिस्थितियों में स्वयंसेवकों की मिसाल

भारत की शक्ति केवल उसकी विशाल जनसंख्या या आर्थिक क्षमता में नहीं, बल्कि सेवा की उस परंपरा में है जिसने हर संकट और चुनौती में समाज को संबल दिया है। विविधताओं से भरे इस देश में जहां समय-समय पर प्राकृतिक आपदाओं से लोगों के जीवन में संकट आ जाता है चाहे भारी बारिश हो, भूस्खलन की समस्या हो या अन्य, इन सभी के बीच तटस्थ होकर समाज को संबल देने के लिए जो पहली पंक्ति में दिखाई देते है वे है स्वयंसेवक जो सेवा परंपरा के वाहक हैं। स्वयंसेवकों ने हर मोर्चे पर समाज के साथ खड़े होकर निःस्वार्थ सेवा की मिसाल कायम की है। हाल ही में देश के तीन अलग अलग हिस्सों- मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और हिमाचल प्रदेश में आई प्राकृतिक आपदाओं ने यह उदाहरण एक बार फिर सबके सामने रखा ।

गुना जिले में राहत और भोजन सेवा: गुना जिले में लगातार हो रही भारी वर्षा से जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया। नदी-नाले उफान पर थे और गाँव-शहर दोनों ही क्षेत्रों में जलभराव की स्थिति गंभीर हो गई। ऐसे समय में सेवा भारती और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ता स्थानीय प्रशासन के साथ कंधे से कंधा मिलाकर राहत कार्यों में जुट गए। तथा दो केंद्रों से 800 से अधिक बाढ़ प्रभावित लोगों को भोजन परोसा गया, साथ ही 300 से अधिक भोजन पैकेट सीधे बस्तियों में पहुंचाए गए। सेवा भारती ने यह भी घोषणा की कि ‘अन्नपूर्णा भोजनालय’ प्रतिदिन सुबह 9 बजे से शाम 7 बजे तक बाढ़ पीड़ितों के लिए भोजन उपलब्ध कराता रहेगा। संकट की इस घड़ी में स्वयंसेवकों ने यह भरोसा जगाया कि कोई भी परिवार भूखा नहीं रहेगा।


 प्रयागराज में राहत और मानसिक संबल: प्रयागराज के दक्षिण भाग में बाढ़ का असर गहराई से महसूस किया गया। यहां स्वयंसेवकों ने केवल खाद्य सामग्री ही नहीं, बल्कि मानसिक संबल भी बाढ़ पीड़ितों को प्रदान किया। लगभग ढाई सौ से अधिक परिवारों को आवश्यक खाद्य सामग्री और दैनिक उपयोग की वस्तुएं वितरित की गईं। साथ ही स्वयंसेवकों ने भजन और कीर्तन आयोजित कर पीड़ितों में सकारात्मकता का संचार किया। कठिन परिस्थितियों में भी जल और कीचड़ की परवाह किए बिना राहत पहुंचाना स्वयंसेवकों की निष्ठा को दर्शाता है। इस सेवा कार्य में संघ के भाग सह संघचालक माननीय मिल्कियत सिंह बाजवा जी सहित 20 से अधिक कार्यकर्ताओं ने सक्रिय भूमिका निभाई और निःस्वार्थ सेवा का अनुपम उदाहरण प्रस्तुत किया।


 बादल फटने और बाढ़ में जीवन रक्षा: 27 जून से 2 जुलाई 2025 के बीच हुई भारी बारिश और बादल फटने की घटनाओं ने हिमाचल प्रदेश को बुरी तरह झकझोर दिया। दर्जनों लोगों की जान गई और अनेक परिवार बेघर हो गए। ऐसी स्थिति में सेवा भारती और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ता बिना समय गँवाए राहत में जुट गए।

धर्मशाला के मनुणी खड्ड क्षेत्र में फंसे लोगों को भोजन और दवाइयां पहुंचाई गईं। मंडी जिले के पंडोह क्षेत्र में पट्टिकरी डैम टूटने के बाद स्वयंसेवकों ने प्रभावित परिवारों तक राशन, कपड़े, दवाइयां और आर्थिक सहायता उपलब्ध कराई। थुनाग, करसोग और धर्मपुर जैसे क्षेत्रों में भी तुरंत सेवा कार्य शुरू किए गए। स्थानीय लोगों ने बताया कि प्रशासनिक मदद से पहले ही स्वयंसेवक वहां पहुंच चुके थे और उन्होंने न केवल राहत पहुंचाई, बल्कि आशा और भरोसा का भी संचार किया।


प्राकृतिक आपदाओं जैसी आपात स्थितियों में स्वयंसेवकों की सक्रिय भागीदारी न केवल तात्कालिक राहत प्रदान करती है, बल्कि सामाजिक एकजुटता को भी सुदृढ़ बनाती है।