शाहजहांपुर, उत्तर प्रदेश
उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर में ‘लव जिहाद’ जैसे सुनियोजित इस्लामी षड्यंत्र का एक और मामला सामने आया है — जिसमें झूठी पहचान, हिंदू प्रतीकों का दुरुपयोग, भावनात्मक फंसाव, यौन शोषण और अंत में मतांतरण की जबरदस्ती वाला मॉडल अपनाया गयान। शाहजहांपुर में ‘शिव वर्मा’ नाम से सोशल मीडिया पर सक्रिय एक युवक, असल में नावेद उर्फ कासिम पठान निकला। माथे पर तिलक, हाथ में कलावा पहनकर उसने ना केवल हिंदू पहचान का नाटक किया अपितु दर्जनों हिंदू युवतियों को प्रेमजाल में फंसाया। पुलिस के अनुसार, आरोपी के मोबाइल से कई अश्लील वीडियो और तस्वीरें मिली हैं — ये सिर्फ यौन शोषण नहीं, बल्कि मानसिक गुलामी और सनातन के अपमान का भी प्रमाण हैं। कई पीड़िताओं पर मतांतरण का दबाव भी डाला गया। यह घटना उस गहरी इस्लामी सोच का परिचायक है, जहाँ 'हिन्दू लड़कियों को बहलाकर मुस्लिम बनाना जिहाद माना जाता है'। यह केवल व्यक्तिगत अपराध नहीं, अपितु संगठित सांस्कृतिक हमला है। कासिम जैसे लोग महज मोहरे हैं — इनके पीछे काम कर रही है एक विकृत मानसिकता, जो हिन्दू समाज को भीतर से तोड़ने, सनातनी महिलाओं को कमजोर करने और धीरे-धीरे सामाजिक संतुलन को बदलने का षड्यंत्र चला रही है। सवाल ये है कि कब तक ऐसी घटनाएं होती रहेगी? कब तक हमारी बेटियाँ अपने ही देश में अपनी पहचान, अपने धर्म और अपनी अस्मिता को लेकर असुरक्षित रहेंगी? कासिम पठान की गिरफ्तारी तो हो चुकी है, लेकिन जब तक इस सोच का, इस षड्यंत्र का, इस 'मजहब के नाम पर धोखे' का सामाजिक, वैचारिक और कानूनी प्रतिकार नहीं होगा — तब तक शिव वर्मा के नकाब में कासिम जैसे भेड़िए घूमते रहेंगे। अब समय है — जागने का, लड़ने का और अपनी बहनों-बेटियों को बचाने का। ये सिर्फ एक अपराध नहीं, ये सनातन पर हमला है।