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हरेला और ग्रीन बम: पर्यावरण बचाने की दिशा में प्रयासों की एक झलक

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आज के समय में जब पूरा विश्व प्रदूषण, ग्लोबल वार्मिंग जैसी समस्याओं से जूझ रहा है। ऐसे में पर्यावरण को बचाने के लिए छोटे-छोटे लेकिन अहम कदम उठाना हम सभी की जिम्मेदारी बन जाती है। इसलिए देश के कई हिस्सों में इस दिशा में अच्छे और प्रेरणादायक प्रयास हो रहे हैं, जो दूसरों को भी प्रेरित कर सकते हैं।

इन्हीं प्रयासों में एक है देहरादून नगर निगम की ओर से हरेला पर्व के अवसर पर चलाया जाने वाला वृक्षारोपण अभियान। महापौर सौरभ थपलियाल ने इस बार एक लाख पौधे लगाने का लक्ष्य तय किया है, ताकि देहरादून को एक हरा-भरा और स्वच्छ शहर बनाया जा सके। इस बार पौधारोपण मियावाकी तकनीक से किया जाएगा, जिसमें पौधों को पास-पास इस तरह लगाया जाता है कि वो जल्दी बड़े हों और एक घने जंगल का रूप ले लें। इस काम में वन अनुसंधान संस्थान (FRI) की मदद ली जा रही है। इसके साथ ही नगर निगम ने आम लोगों, स्कूलों, संस्थाओं को इस अभियान में जुड़ने की अपील की है। महापौर का मानना है कि हर एक पौधा एक जीवन है और अगर हर नागरिक केवल एक पौधा भी लगाए और उसकी देखभाल करे, तो देहरादून को ग्रीन सिटी बनाना संभव है।

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वहीं दूसरी ओर, उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड मैनेजमेंट के दो छात्रों – शशांक पांडेय और शिवेश – ने ‘ग्रीन बम’ नाम से एक अनोखा प्रोटोटाइप तैयार किया है। बता दें यह कोई विनाशकारी बम नहीं है, बल्कि इसे गिराने पर इसके अंदर भरे लाखों बीज धरती पर फैल जाते हैं और कुछ समय बाद वे पौधों और पेड़ों का रूप ले लेते हैं। इस बम में नीम, आम, अमरूद और औषधीय पौधों के बीजों से बने बायो-कैप्सूल भरे गए हैं, विशेष रूप से इस तरह डिज़ाइन किया गया है कि ड्रोन या हवाई जहाज से गिराए जाने पर यह हवा में ही फट जाए और बीज दूर-दूर तक फैल जाएं। छात्रों का कहना है कि इस ग्रीन बम का उद्देश्य पर्यावरण संतुलन के साथ-साथ विश्व को यह संदेश देना है कि तकनीक का इस्तेमाल केवल विनाश के लिए नहीं, बल्कि जीवन को बचाने के लिए भी किया जा सकता है।

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अगर हम अपने-अपने स्तर पर थोड़ा-थोड़ा भी योगदान करें, तो प्रकृति को बचाने की दिशा में एक बड़ा बदलाव संभव है।आने वाली पीढ़ियों को एक साफ, स्वच्छ और सुरक्षित पर्यावरण देना हमारा कर्तव्य भी है और जरूरत भी।