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इतिहास

धर्म और समाज-संस्कृति का रक्षण संघ का ध्येय

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धर्म और समाज-संस्कृति का रक्षण संघ का ध्येय

"अपने धर्म और समाज-संस्कृति का रक्षण करना यह संघ का ध्येय है। कुछ लोगों को ऐसा लगता है कि स्वधर्म की रक्षा करना यानी परधर्म का द्वेष करना है। परंतु परधर्म का द्वेष करने से स्वधर्म का रक्षण कैसे हो सकेगा, यह मेरी समझ में नहीं आता। संघ की कार्य पद्धति में पंथ, उप-पंथ, जातीय मतभेद, इत्यादि प्रश्न उपस्थित नहीं हो सकते। संघ एकता की भावना से संपूर्ण हिंदू समाज का विचार करता है।

|| डॉ. हेडगेवार - एक अनोखा नेतृत्व, पृष्ठ 53 ||