• अनुवाद करें: |
मुख्य समाचार

चप्पलें बनाकर महिलाओं ने चमकाई अपनी किस्मत

  • Share:

  • facebook
  • twitter
  • whatsapp

मुरादाबाद, उत्तर प्रदेश

अक्सर कहा जाता है कि अगर सपनें सच करने की ठान ली जाए, तो छोटे से छोटा कदम भी बड़ी क्रांति का रूप ले लेता है। मुरादाबाद की 10 महिलाओं ने इसी विश्वास को जीकर दिखाया है। उन्होंने अपने जीवन की राहें बदलने के लिए चप्पल निर्माण जैसे साधारण काम को चुना और आज वही काम उनके लिए आर्थिक स्वतंत्रता और सामाजिक पहचान का प्रतीक बन चुका है। ये महिलाएँ सुबह घर के काम सँभालती हैं और फिर मिलकर अपने समूह में बैठती हैं। उनके हाथों से बनी चप्पलें अब स्थानीय बाजारों में धूम मचा रही हैं। परिवार की जिम्मेदारियों के साथ-साथ अब वे अपने सपनों की पूर्ति के लिए भी कमाई कर रही हैं। यह दोहरी भूमिका बताती है कि महिला शक्ति किसी भी परिस्थिति में संतुलन बना सकती है और अपने वजूद को साबित कर सकती है। इस समूह की अध्यक्ष हिमानी बिश्नोई बताती हैं 'शुरुआत आसान नहीं थी। लेकिन जब हम सबने मिलकर एक साथ कदम बढ़ाए, तो हिम्मत भी मिली और राह भी खुली।' वे और उनकी साथी महिलाएँ करीब 10 हजार रुपये का कच्चा माल एक साथ खरीदती हैं। उसके बाद, हर महिला अपने हिस्से का काम करती है। लगभग 100 रुपये की एक जोड़ी चप्पल बाजार में आसानी से बिक जाती है। नतीजतन, हर महिला महीने में 7 हजार रुपये से लेकर उससे अधिक तक की कमाई कर रही है। धीरे-धीरे उनकी बनाई चप्पलों की मांग न सिर्फ मुरादाबाद अपितु आसपास के इलाकों में भी बढ़ने लगी है। जैसे-जैसे काम बढ़ रहा है, वैसे-वैसे आत्मनिर्भरता का यह कारवां और मजबूत होता जा रहा है। अब वे बड़े स्तर पर उत्पादन की योजना बना रही हैं। उनका सपना है कि आने वाले समय में यह छोटा-सा समूह एक ब्रांड बने और देशभर की महिलाओं को रोजगार दे। इन महिलाओं की कहानी केवल कमाई की नहीं है अपितु आत्मसम्मान और आत्मविश्वास की भी है।

UP Tak