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2 मॉल, 2 कमरे और फंसती गयीं हिन्दू बेटियाँ

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देवरिया, उत्तर प्रदेश 

उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले से जो हैवानियत भरी घटना सामने आई है, उसने हर सजग हिंदू के दिलों-दिमाग को झकझोर दिया है। दो मॉल एसएस और ईडी जिन्हें आम लोग खरीददारी की सुरक्षित जगह मानते थे, असल में मौत से भी भयानक षड्यंत्र के अड्डों में तब्दील कर दिया गया था। इन मॉलों की चमचमाती दीवारों के पीछे, ऊपर बने दो छोटे कमरों में न कोई व्यापार था, न कोई इंसानियत, वहाँ तो सिर्फ मजहबी दरिंदों का शिकारी जाल फैला था, जहाँ नारी अस्मिता को तार-तार कर इंसानियत का गला घोंटा जा रहा था। एक युवती ने हिम्मत जुटाकर जब पुलिस और एसपी तक अपनी व्यथा सुनाई, तो अंदर का काला सच बाहर आया। उसने बताया कि मॉल मालिक, उसकी पत्नी और उसका भाई मिलकर हिंदू बेटियों को नौकरी और चमक-दमक का लालच देकर बुलाते थे। दरअसल, वे शैतानों के झुंड थे, जो मासूम लड़कियों को जाल में फँसाकर उनकी देह नोचते थे। उनके साथ हैवानियत की सारी हदें पार की जातीं। वीडियो बनाए जाते, फिर उन्हीं वीडियो से ब्लैकमेल करके उनकी जिंदगी को नरक बना दिया जाता और अंततः मत बदलने पर मजबूर किया जाता। सोचिए, यह कितनी गिरी हुई सोच है कि कोई इंसानियत नहीं, कोई दया नहीं, केवल गिद्धों की तरह हिंदू बेटियों की इज्जत नोचने का नंगा नाच। यही नहीं, इस षड्यंत्र का बीज और भी गहरा है। मॉल मालिक का रिश्तेदार पहले भी हिंदू लड़की को भगाने और उसकी जिंदगी बर्बाद करने के आरोप में जेल जा चुका है। यानी यह कोई अचानक की गई गलती नहीं अपितु पीढ़ी-दर-पीढ़ी पनपा हुआ सुनियोजित षड्यंत्र है, जो भारत के समाज की जड़ों पर वार करने के लिए चलाया जा रहा है। यह सवाल हर हिंदू के सामने खड़ा होना चाहिए, क्यों हर बार इन षड्यंत्रों में टारगेट हिंदू बेटियाँ ही बनती हैं? क्योंकि इस्लामी सोच में हिंदू महिला को 'मजहबी विस्तार का साधन' और 'शिकार' समझा जाता है।

कभी लव जिहाद के नाम पर, कभी नौकरी और पैसों के झाँसे पर, कभी शादी का वादा करके, हर बार वही पैटर्न हिंदू बेटी को जाल में फँसाओ, उसकी अस्मिता तोड़ो और फिर मत बदलने पर मजबूर करो। यह सोच कोई नई नहीं है। इतिहास गवाह है, दिल्ली से लेकर मथुरा और काशी तक, हर जगह हिंदू नारी की आबरू को निशाना बनाया गया। मुगल काल में यह तलवार से होता था, आज यह मॉल, सोशल मीडिया और नकली मोहब्बत के हथियार से किया जा रहा है। फर्क केवल इतना है कि तरीका आधुनिक हो गया है लेकिन नीयत उतनी ही गंदी बनी हुई है।

छांगुर से लेकर मॉल गैंग तक: एक ही तरीके का षड्यंत्र

बलरामपुर का कुख्यात छांगुर गिरोह याद कीजिए, मुस्लिम लड़कों की एक गैंग तैयार की गई थी, जिन्हें खास तौर पर हिंदू बेटियों को फँसाने की ट्रेनिंग दी जाती थी। प्यार का जाल बुनकर बेटियों को फँसाना, फिर जबरन या छल से मतांतरण कराना यह उनका बिजनेस मॉडल था। आगरा में हाल ही में मिशनरियों का नेटवर्क पकड़ा गया, जो हिंदुओं को पैसे और नौकरी का लालच देकर ईसाई बना रहा था। यही पैटर्न देवरिया में मॉल की आड़ में अपनाया गया। यानी जगह बदलती है, चेहरे बदलते हैं, लेकिन षड्यंत्र वही रहता है, हिंदू समाज की बेटियों पर हमला और उनकी आस्था को तोड़ना। यहाँ पर एक कटु लेकिन आवश्यक सत्य कहना होगा। हर बार बेटियाँ ही क्यों इतनी आसानी से इन जालों में फँस जाती हैं? थोड़े से पैसे, नौकरी का वादा या झूठे प्रेम की मीठी बातें… और हमारी बेटियाँ अपनी अस्मिता दाँव पर लगा देती हैं। समाज की बेटियों को समझना होगा कि ये दरिंदे उन्हें इंसान नहीं, सिर्फ शिकार समझते हैं। जब तक बेटियाँ खुद मजबूत नहीं बनेंगी, आत्मनिर्भर और सजग नहीं होंगी, तब तक ये जाल फैले रहेंगे। उन्हें शिक्षा और आत्मरक्षा दोनों अपनानी होंगी। उन्हें झूठे रिश्तों और चमक-दमक के पीछे भागना बंद करना होगा। उन्हें समझना होगा कि आत्मनिर्भरता ही सुरक्षा की सबसे बड़ी ढाल है।

हिन्दू समाज पर मजहबी हमला

देवरिया की घटना को केवल 'बलात्कार' या 'मतांतरण'  अपराध कहकर छोटा करना गलती होगी। यह असल में हिंदू समाज पर मजहबी हमला है। दुश्मन जानते हैं कि अगर नारी शक्ति टूट जाए, तो पूरा समाज टूट जाएगा। इसलिए उनकी पहली नजर बेटियों पर है। आज हर हिंदू को समझना होगा यह युद्ध तलवारों का नहीं अपितु मानसिकता का है। यह युद्ध अदालतों में, अखबारों में और सबसे बढ़कर घर-घर के भीतर लड़ा जाएगा।  


देवरिया, बलरामपुर और आगरा की घटनाएँ केवल समाचार नहीं हैं। ये हिंदू समाज के लिए अलार्म हैं। अब भी नहीं जागे तो हमारी आने वाली पीढ़ियाँ इन जालों की भेंट चढ़ जाएँगी। आज बेटियों को दया की पात्र बनाना बंद करना होगा, उन्हें शेरनी की तरह गढ़ना होगा। क्योंकि सवाल यही है क्या हम अपनी बेटियों को शिकार बनने देंगे या उन्हें शेरनी बनाकर दरिंदों को मुँहतोड़ जवाब देंगे?