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तीर्थ नगरी प्रयागराज में सजा वैभव का अनूठा संसार

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- संगम की रेती पर महामंडलेश्वरों के राजसी शिविर

प्रयागराज। पहली बार प्रय़ागराज भूमि को देवभूमि की तर्ज पर सजाया गया है। महाकुंभ के आगमन के पहले संतों, महंतों औरह आगंतुकों के आगमन के लिए स्पेशल तंबुओं के एक नगरी तैयार की गई है। जिसमें दो से तीन मंजिला तक कॉटेज लोगों के आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। वहीं टिन से घेरा पर किनारीदार बार्डर मन मोह रहे हैं। इन्हीं वैभवशाली महलनुमा शिविरों में संतों ने महाकुंभ के प्रथम स्नान से पहले ही तीन पहर डुबकी और एक पहर आहार का अनुष्ठान आरंभ कर दिया है।

महाकुंभ के इस अवसर पर संगम की रेती पर विश्व के सबसे बड़े सांस्कृतिक आध्यात्मिक समागम में महामंडलेश्वरों और श्रीमहंतों के बीच राजसी वैभव की होड़ सी मच गई है। कहीं लकड़ी के बंगले तो कहीं कपड़े के महल तैयार हो रहे हैं।

तंबुओं की इस अद्वितीय नगरी में संतों के दो और तीन मंजिला कॉटेजों के साथ टिन से घेरा पर किनारीदार बाॅर्डर मन मोह रहे हैं। इन्हीं वैभवशाली महलनुमा शिविरों में संतों ने महाकुंभ के प्रथम स्नान से पहले ही तीन पहर डुबकी और एक पहर आहार का अनुष्ठान आरंभ कर दिया है।

चार हजार हेक्टेयर में बसने वाले महाकुंभ में फाफामऊ से अरैल के बीच दशनामी परंपरा के नागा संन्यासियों, आचार्य महामंडलेश्वरों, महामंडलेश्वरों के साथ ही वेद, पुराण और मानस के ज्ञाता कथा मर्मज्ञों के शाही शिविर आकार ले रहे हैं। सेक्टर-18 में अन्नपूर्णा मार्ग पर संन्यासियों के सबसे बड़े पंच दशनाम जूना अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर श्रीमहंत अवधेशानंद सरस्वती का 22 एकड़ में प्रभु प्रेमी संघ शिविर बन रहा है। 

शिविर के प्रबंधक महेश शर्मा की देखरेख में कलात्मक बाॅर्डर वाला घेरा बाहर से देखते ही बन रहा है। यहां छह से 12 जनवरी तक स्वामी अवधेशानंद की श्रीमद्भागवत कथा सुनने के लिए देश-विदेश से श्रद्धालु पहुंचेंगे।

इसी तरह संगम लोवर मार्ग पर सोमनाथ गिरि उर्फ पायलट बाबा की शिष्या जापान की भू-समाधि विशेषज्ञ महामंडलेश्वर केको आईकावा उर्फ योगमाता स्वामी कैला माता के शिविर में जापानी संन्यासियों के लिए आधुनिक सुविधाओं से युक्त लकड़ी के बंगले बन रहे हैं।

योग माता महामंडलेश्वर चेतना गिरि और योगमाता महामंडलेश्वर श्रद्धा गिरि के लिए शाही ठाठ वाले शिविर बन रहे हैं। शिविर में शिवशक्ति महायज्ञ के लिए भव्य पंडाल बन रहा है तो कैला माता से श्रद्धालुओं की मुलाकात के लिए अलग सत्संग हाल बन रहा है।

इसी तरह परमार्थ निकेतन ऋषिकेश के संत चिदानंद मुनि के शिविर की शोभा देखते बन रही है। इसी सेक्टर में अमेरिकन शिष्य-शिष्याओं के साथ यमुनाचार्य सतुआ बाबा की शिष्या प्रेममई लक्ष्मी साईं माता का शाही सुविधाओं से युक्त शिविर आकार ले रहा है। पांच जनवरी से इन शिविरों में संतों-भक्तों की निराली दुनिया बसने लगेगी।

तीन पहर डुबकी और फूस की कुटिया में ध्यान -

प्रयागराज। राजसी वैभव वाले शिविरों के बीच फूस की झोपड़ियों में महामंडलेश्वरों और श्रीमहंतों ने साधना भी शुरू कर दी है। संगम की रेती पर सुबह-दोपहर-शाम संतों का वंदन आरंभ हो गया है।

शनिवार शाम पांच बजे त्रिवेणी मार्ग स्थित पंच दशनाम अग्नि अखाड़े में श्रीमहंत संपूर्णनंद ब्रह्मचारी फूस की झोपड़ी में तप करते रहे। वह बताते हैं, तीन पहर डुबकी और कुटिया में जप, तप, ध्यान आखिरी शाही स्नान तक चलता रहेगा।