बंधुत्व ही संघ कार्य का आधार- श्री गुरुजी
हमारे धर्मगुरुओं ने अस्पृश्यता का त्याग करने का आदेश दिया है, इस लिये इस आदेश को अपने जीवन में लाना यह हमारा प्राथमिक कर्तव्य है । अपने धर्म तथा संस्कृति का पालन करने वाले सभी भूमिपुत्रों की और हम सबको बंधुत्व के नाते से ही देखना चाहिये । उसी प्रकार कोई व्यक्ति अथवा उसकी जाति क्या है, इसकी चिंता करने की कोई आवश्यकता नहीं है। अपनी एकता को सुदृढ करने वाली बातों पर हमें जोर देना चाहिये । उसी प्रकार भेद भाव निर्माण करने वाली बातों को दुर्लक्षित करना चाहिये। ऐसा करने से ही समाज में स्थायी एकता और सुसंवाद प्रस्थापित हो सकेगा। मेरा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का अनुभव इसी प्रकार का है। इन्ही सुवर्ण नियमों का पालन करने के कारण ही संघ में जाति, संप्रदाय, भाषा आदि बातों के कारण आपस में यत्किंचित भी दूरी, अथवा अलगाव पनपने नहीं पाता।
|| डॉ. हेडगेवार एक अनोखा नेतृत्व, पृष्ठ-68 ||




