कासगंज,यूपी
श्रावण मास की कांवड़ यात्रा इस बार अपने अलग-अलग रंगों से लोगों के दिलों को छू रही है। कहीं भक्तों का उत्साह और भक्ति दिखाई दे रही है, तो कहीं परिवार के प्रति प्रेम और सेवा भाव देखने को मिल रहा है। ऐसा ही कुछ देखने को मिला है कासगंज में, जहां कांवड़ यात्रा ने धर्म, आस्था और रिश्तों के सुंदर संगम की तस्वीर पेश की है। जी हां हाथरस के बुढ़ाईच गांव से एक प्रेरणादायक उदाहरण सामने आया। यहां एक बेटे राजकुमार और उनकी पत्नी विमला देवी ने अपने लकवा ग्रस्त माता-पिता अमान देवी और पोतीराम की गंगा स्नान की इच्छा पूरी करने का फैसला किया। माता-पिता स्वंय गंगा घाट तक नहीं आ सकते थे, इसलिए बेटे-बहू ने उन्हें कांवड़ में बिठाकर कछला घाट ले जाकर गंगा स्नान कराया। इसके बाद गंगाजल भरकर गांव के मंदिर में जलाभिषेक के लिए भी ले गए। कांवड़ में बुजुर्ग दंपति को बैठाकर ले जाते हुए यह परिवार सभी श्रद्धालुओं के लिए चर्चा का विषय बन गया। माता-पिता अपने बेटे-बहू की सेवा से बेहद प्रसन्न और भावुक नजर आए। राजकुमार और विमला देवी ने बताया कि वे रोजाना लगभग 20 किलोमीटर की यात्रा करते हैं और फिर विश्राम करते हैं। सोमवार को वो सिकंदराराऊ और जलेसर होते हुए अपने गांव बुढ़ाईच पहुंचेंगे और शिव मंदिर में जलाभिषेक करेंगे। वही इस यात्रा में परिवार के अन्य सदस्य जैसे योगेश कुमार, यशवती, जितेंद्र कुमार, गीता और निशांत भी शामिल हैं। जब समाज में रिश्तों में दूरी और व्यस्तता बढ़ती जा रही है, ऐसे में कासगंज के यह परिवार बताता है कि आज भी सेवा, सम्मान और संस्कार जीवित हैं हमारी संस्कृति जीवित है।