गोरखपुर के भटहट क्षेत्र के निवासी हरि ओम ने टेरकोटा कलाकृतियों को बनाने का हुनर सीखा और अनेकों महिलाओं को इसका प्रशिक्षण देकर उनके जीवन में भी एक नई उमंग और आय का स्रोत जोड़ दिया। हरिओम के पिता से सीखा जो कुछ शिकल्पकारों के यहाँ टेरकोट कलाकृतियां बनाने में सहयोग देते थे। आर्थिक समस्याओं से जूझते अपने परिवार को देख हरिओम ने भी पिता के साथ शिल्पकारों के यहाँ जाना शुरू किया। जब उन्होनें इस कला को पास से देखा तो उनमें इसे सीखने की रुचि जगी, कठिन परिश्रम से इस कला को सीख वे धीरे धीरे इसमें पारंगत हो गए। उन्होंने इससे सजावट का काम करते हुए बाजार की मांग के अनुसार उत्पाद तैयार किए। जब इस हुनर से उनकी जिंदगी बदली तो उन्होंने दूसरों को भी यह हुनर सिखाने की ठान ली। हरिओम अब तक लगभग 300 महिलाओं को टेराकोटा की कलाकृतियां बनाने का प्रशिक्षण दे चुके हैं। कलाकृतियां बनाकर इन गरीब महिलाओं के परिवारों के जीवन से अंधकार मिट गया है। वर्तमान में हरिओम के कारखाने में 10 से अधिक महिलाएं टेराकोटा की कलाकृतियां बनाती है। हरिओम से प्रशिक्षण ले चुकी 300 से अधिक महिलाएं अपने घरों से ही टेराकोटा की कलाकृतियां तैयार करके बाजारों में बेचती है।
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हरिओम के हुनर से मिटा गरीबी का अंधेरा, 300 महिलाओं को दी टेराकोटा कलाकृति बनाने की ट्रेनिंग
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