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आईआईटी रुड़की की नई खोज

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रुड़की,उत्तराखण्ड

दुनिया में बढ़ते बीमारियों का इलाज कठिन हो गया है। लेकिन इस चुनौती से निपटने के लिए आईआईटी रुड़की के वैज्ञानिकों ने एक नया समाधान खोजा है, जो खतरनाक बैक्टीरिया के विरुद्ध दवाओं को फिर से असरदार बना सकता है। जी हां स्वास्थ्य जगत में एक बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए आईआईटी रुड़की के वैज्ञानिकों ने घातक एंटीबायोटिक प्रतिरोध से लड़ने के लिए एक नई दवा खोजी है। बता दें जैव अभियांत्रिकी विभाग की प्रोफेसर रंजना पठानिया के नेतृत्व में, डॉ. मंगल सिंह, परवेज बख्त और नॉर्वे की प्रोफेसर एनेट बायर की टीम ने मिलकर कंपाउंड 3B नामक एक नया अणु विकसित किया है। यह अणु एंटीबायोटिक मेरोपेनम के साथ मिलकर दवा-प्रतिरोधी बैक्टीरिया क्लेबसिएला न्यूमोनिया से होने वाले संक्रमण का प्रभावी इलाज करता है। जानकारी के अनुसार क्लेबसिएला न्यूमोनिया एक खतरनाक सुपरबग है, जिसे विश्व स्वास्थ्य संगठन ने उच्च प्राथमिकता वाली सूची में रखा है। यह नया यौगिक बी-लैक्टामेज एंजाइम को एंटीबायोटिक दवाओं को नष्ट करने से रोकता है, जिससे दवा की प्रभावशीलता बनी रहती है। यह अणु अत्यधिक विशिष्ट है और मानव कोशिकाओं के लिए सुरक्षित पाया गया है। आईआईटी रुड़की के निदेशक प्रो. के.के. पंत ने कहा कि बढ़ते एंटीबायोटिक प्रतिरोध के दौर में इस तरह की खोजें सस्ती और असरदार इलाज की उम्मीद जगाती हैं। यह शोध जर्नल ऑफ मेडिसिनल केमिस्ट्री में प्रकाशित हुआ है और उम्मीद है कि यह भविष्य में सुपरबग्स पर असरदार दवाओं के विकास में अहम भूमिका निभाएगा।

आईआईटी रुड़की ने घातक एंटीबायोटिक प्रतिरोध से लड़ने के लिए दवा खोजी