संघ संस्मरण
1983 के आस पास राम मंदिर आन्दोलन प्रारम्भ होने का काल था। इस आन्दोलन के मार्गदर्शन में संघ की ओर से माननीय मोरोपंत पिंगले और रज्जू भय्या का नाम निर्धारित था। श्री अशोक सिंहल जी के पास विश्व हिंदू परिषद की जिम्मेदारी थी। विभिन्न संगठनों के सहयोग के साथ , सबके विचारों का सामंजस्य बिठाने के लिए सतत प्रयत्न करते हुए सब को साथ लेकर चलने का काम रज्जू भय्या ने किया। 1990 में कार सेवा के बारे में दो तिथियों पर चर्चा हो रही थी, कोई निर्णय नहीं हो पा रहा था। कार्यकर्ता रज्जू भय्या के पास गए। ऐसी स्थिति में उन्होंने कहा, 'जिससे विजय मिले वही कार्य करना और उस पथ पर बढ़ना, यही वीरों को शोभा देता है और फिर यह तो राष्ट्रीय जागरण का पर्व है। हिंसा-प्रतिहिंसा, सरकारी अत्याचार से भयभीत होने की आवश्यकता न हीं है। जिससे लक्ष्य की पूर्ति हो और उद्देश्य प्राप्ति की दिशा में हम बढ़ें, वही निर्णय लेना उचित है। कहते थे, दूसरे पर हिंसा मत करो, लेकिन महान उद्देश्यों के लिए आत्म त्याग हेतु अवश्य आगे बढ़ो।
।। प्रोफेसर राजेन्द्र सिंह की जीवन यात्रा,
रतन
शारदा, सुरुचि प्रकाशन,
नई
दिल्ली, पृष्ठ - 194।।