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महाकुंभ 2025 : सनातनी आस्था और अर्थव्यवस्था का संगम

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- महाकुंभ में दिखेगी वोकल फॉर लोकल

- 75 देशों से विदेशी पर्यटक भी शामिल होंगे

- 10 लाख वर्गफुट क्षेत्र में स्ट्रीट आर्ट और म्यूरल्स का निर्माण

-       पर्यटन विभाग ने टूर गाइड, नाविक, ड्राइवर और स्ट्रीट वेंडर्स को किया प्रशिक्षित

प्रयागराज। प्रयागराज में आयोजित होने वाला महाकुंभ 2025, परंपरा और आधुनिकता का अद्भुत संगम होगा। यह आयोजन न केवल धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि आर्थिक और सामाजिक दृष्टि से भी भारत के लिए अत्यधिक लाभकारी है। महाकुंभ विश्व भर से श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है और स्थानीय अर्थव्यवस्था, रोजगार, और सांस्कृतिक पहचान को सुदृढ़ करता है।

इतिहास और आर्थिक महत्व -

ब्रिटिश शासन काल से ही महाकुंभ का आयोजन प्रशासनिक और आर्थिक दृष्टि से महत्वपूर्ण रहा है। 1906 तक ब्रिटिश भारत सरकार महाकुंभ पर जितना खर्च करती थी, उससे अधिक राजस्व प्राप्त करती थी। यही परंपरा आज भी जारी है, लेकिन अब इसे आधुनिक दृष्टिकोण और बेहतर प्रबंधन के साथ आयोजित किया जा रहा है।

महाकुंभ 2025 की विशेषताएँ -

1. व्यापक तैयारी और आधुनिक दृष्टिकोण: ‌उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने महाकुंभ 2025 की तैयारियाँ 2022 में ही शुरू कर दी थीं। अब तक 500 से अधिक परियोजनाओं पर काम हो चुका है, जिनकी लागत लगभग 6,382 करोड़ रुपये है। इनमें सड़क चौड़ीकरण, पेयजल आपूर्ति, अस्थायी पुल निर्माण, और रेल कनेक्टिविटी जैसे कार्य शामिल हैं।

2. 45 करोड़ श्रद्धालुओं की उम्मीद: इस बार के महाकुंभ में 45 करोड़ लोगों के आने की संभावना है, जिसमें 75 देशों से विदेशी पर्यटक भी शामिल होंगे। यह आयोजन उत्तर प्रदेश के पर्यटन और स्थानीय व्यवसायों को बढ़ावा देगा।

3. शहर का सौंदर्यीकरण: प्रयागराज को विशेष आकर्षण देने के लिए प्रमुख दीवारों पर भित्ति चित्र, चौराहों पर मूर्तियाँ, और ग्रीन बेल्ट का निर्माण किया गया है। इसके लिए 60 करोड़ रुपये का बजट निर्धारित किया गया है। लगभग 10 लाख वर्गफुट क्षेत्र में स्ट्रीट आर्ट और म्यूरल्स का निर्माण किया गया है।

4. स्थानीय रोजगार और कौशल विकास: ‌महाकुंभ आयोजन से 45,000 परिवारों को रोजगार मिलेगा। राज्य सरकार ने 25,000 श्रमिकों को सीधे महाकुंभ के कार्यों में शामिल किया है। साथ ही, पर्यटन विभाग ने टूर गाइड, नाविक, ड्राइवर और स्ट्रीट वेंडर्स को प्रशिक्षित किया है।

5. वोकल फॉर लोकल: ‌महाकुंभ 2025 के जरिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वोकल फॉर लोकल अभियान को बढ़ावा दिया जाएगा। वन डिस्ट्रिक्ट, वन प्रोडक्ट योजना के तहत हर जिले के प्रमुख उत्पादों को अंतर्राष्ट्रीय मंच पर प्रदर्शित किया जाएगा। बनारस की साड़ी, मुरादाबाद का पीतल, और गोरखपुर का टेराकोटा जैसे उत्पादों को विशेष रूप से प्रमोट किया जाएगा।

6. टेंट सिटी का निर्माण: ‌महाकुंभ क्षेत्र में 2,000 से अधिक लक्जरी टेंट लगाए गए हैं। इन टेंट्स में फाइव स्टार होटल जैसी सुविधाएँ उपलब्ध होंगी। यह श्रद्धालुओं को धार्मिकता के साथ-साथ आरामदायक अनुभव प्रदान करेगा।

पर्यटन और तीर्थ यात्रा का विस्तार -

महाकुंभ के दौरान श्रद्धालुओं को वाराणसी, अयोध्या, मथुरा, और विंध्याचल जैसे अन्य धार्मिक स्थलों तक ले जाने के लिए विशेष ट्रेन सेवाएँ और जलमार्ग की सुविधाएँ दी जाएँगी। 34 नई ट्रेनें प्रयागराज को वाराणसी और अयोध्या से जोड़ेंगी।

अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन को बढ़ावा -

महाकुंभ 2025 में यूरोप, संयुक्त अरब अमीरात, और अन्य देशों से लाखों पर्यटकों के आने की संभावना है। यह आयोजन विदेशी मुद्रा अर्जन और भारत की वैश्विक पहचान को मजबूत करेगा।

भविष्य की दिशा -

2019 में आयोजित महाकुंभ में 24 करोड़ श्रद्धालुओं ने भाग लिया था, जिसमें 25 लाख विदेशी पर्यटक शामिल थे। 2025 का आयोजन इस संख्या को दोगुना करने की संभावना रखता है।

उत्तर प्रदेश सरकार की पर्यटन नीति और महाकुंभ की व्यापक तैयारियाँ न केवल धार्मिक अनुभव को समृद्ध करेंगी, बल्कि राज्य और देश की अर्थव्यवस्था को भी एक नई दिशा देंगी।

महाकुंभ 2025, सनातनी आस्था के इस महाकुंभ को एक वैश्विक मंच पर स्थापित करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की दूरदृष्टि का परिणाम है। यह आयोजन भारत की सांस्कृतिक, धार्मिक, और आर्थिक शक्ति को विश्व के सामने प्रदर्शित करेगा।