• अनुवाद करें: |
मुख्य समाचार

अलीगढ़: सराय मियां में मिला प्राचीन शिव मंदिर

  • Share:

  • facebook
  • twitter
  • whatsapp

- पूजा-अर्चना और संरक्षण की मांग तेज

- पूजा घर को कूड़ा घर में किया था तब्दील 

- ज्यादातर मूर्तियां की गई है खंडित

अलीगढ़। अलीगढ़ के थाना देहलीगेट क्षेत्र के संवेदनशील मोहल्ला सराय मियां में एक प्राचीन शिव मंदिर की दुर्दशा सामने आई है। यह मंदिर वर्षों से उपेक्षित था और स्थानीय स्तर पर कूड़ाघर में तब्दील कर दिया गया था। मंदिर में देवी-देवताओं की मूर्तियां टूटी हुई और मिट्टी में दबी हुई मिली हैं। हिंदू संगठनों और प्रशासन की मौजूदगी में मंदिर को साफ-सुथरा किया गया और पूजा-अर्चना का आयोजन किया गया।

19 दिसंबर को शाम साढ़े पांच बजे पुलिस को सूचना मिली कि सराय मियां की एक गली में स्थित प्राचीन शिव मंदिर कूड़ाघर में तब्दील हो चुका है। पुलिस मौके पर पहुंची तो पाया कि मंदिर के गेट पर ताला लगा था, लेकिन बगल के रास्ते से मंदिर तक पहुंचने की जगह थी।

मंदिर परिसर में चारों ओर कूड़ा बिखरा था। देवी-देवताओं की मूर्तियां मिट्टी में दबी हुई थीं, जिनमें से कई खंडित हो चुकी थीं। मंदिर परिसर को पूरी तरह उपेक्षित पाया गया। हिंदू संगठनों के नेताओं ने पुलिस की उपस्थिति में मंदिर का ताला तोड़ा। मंदिर की सफाई और धुलाई कर पूजा-अर्चना शुरू की गई। इस दौरान जय श्रीराम और हर-हर महादेव के नारे लगाए गए।

सराय मियां में अब कोई हिंदू परिवार नहीं रहता। यहां पहले कोरी समाज की घनी आबादी थी, जो धीरे-धीरे पलायन कर गई। मुस्लिम समुदाय के कुछ लोगों का कहना है कि मंदिर की सुरक्षा के लिए उन्होंने खुद दीवार लगवाई थी। लेकिन हिंदू संगठनों का आरोप है कि मंदिर को नष्ट करने की कोशिश की जा रही थी। सराय मियां और आसपास के क्षेत्र अलीगढ़ के अतिसंवेदनशील इलाके माने जाते हैं। 1990 के दशक के सांप्रदायिक दंगों के दौरान यहां की कोरी समाज की आबादी ने पलायन किया। पिछले 50 वर्षों से मंदिर में पूजा-अर्चना नहीं हुई थी।

मंदिरों की सूची बनाकर उनकी सुरक्षा सुनिश्चित की जाएगी। जहां मूर्तियां खंडित हैं, वहां विधिवत प्राण-प्रतिष्ठा कराई जाएगी। सभी मंदिरों में त्योहारों के दौरान भजन-कीर्तन का आयोजन किया जाएगा। मंदिर पर भगवा झंडा फहराया गया है और पूजा-अर्चना का सिलसिला शुरू कर दिया गया है।

शिक्षक विधायक मानवेंद्र प्रताप सिंह ने अशांत क्षेत्र कानून बनाने की मांग की है, जिससे अन्य समुदायों के लोग बिना प्रशासन की अनुमति के हिंदू समाज के मकान न खरीद सकें। उनका कहना है कि पलायन के कारण हिंदू धर्मस्थल उपेक्षित हो रहे हैं।

स्थानीय मुस्लिम समुदाय :

मोहल्ले के मोहम्मद अकील कुरैशी ने बताया कि मंदिर की हालत खराब होने का कारण देखरेख की कमी है। उनका दावा है कि उन्होंने मंदिर की सुरक्षा के लिए दीवार लगवाई थी। कुछ लोगों का कहना है कि करीब 20 साल पहले तक यहां होली जलाने और दीप जलाने की परंपरा थी। धीरे-धीरे मंदिर में पूजा बंद हो गई।

मंदिर की नियमित देखरेख और सुरक्षा सुनिश्चित की जाएगी। प्रशासन को अन्य उपेक्षित मंदिरों की पहचान कर कार्रवाई करनी होगी। धार्मिक स्थलों की सुरक्षा को लेकर हिंदू संगठनों और स्थानीय प्रशासन के बीच समन्वय स्थापित किया जाएगा। सांप्रदायिक सौहार्द बनाए रखने के लिए समुदायों के बीच संवाद आवश्यक है।

यह घटना अलीगढ़ के सांप्रदायिक और धार्मिक धरोहरों की उपेक्षा को उजागर करती है। मंदिरों की सुरक्षा और देखरेख न केवल धार्मिक भावनाओं का सम्मान है, बल्कि यह सांस्कृतिक विरासत को सहेजने का कार्य भी है। प्रशासन, स्थानीय संगठनों और समुदायों के समन्वित प्रयास से इस प्रकार की समस्याओं का समाधान संभव है।