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पेड़ की छाल से तैयार राखियां दे रहीं पर्यावरण संरक्षण का संदेश

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 नई टिहरी, उत्तराखण्ड

रक्षाबंधन का पर्व भाई-बहन के स्नेह का प्रतीक है, वहीं पहाड़ों में यह पर्व प्रकृति और आध्यात्म से भी गहरा संबंध रखता है। जी हां उत्तराखंड के टिहरी जिले के दूरस्थ गांव कैलबागी के लोग इस त्योहार को पर्यावरण के साथ जोड़कर एक उदाहरण पेश कर रहे हैं। बता दें यहां की महिलाएं चीड़ के पेड़ की बाहरी छाल से सुंदर राखियां बनाती हैं। महिलाएं पहले इन छालों से राखी का धागा तैयार करती हैं, फिर उसी पर डिजाइन बनाकर चावल और दाल चिपका देती है, जिससे यह और भी आकर्षक बन जाती है। इस पहल से न केवल पेड़ों के महत्व और हरियाली की उपयोगिता का संदेश दिया जा रहा है, बल्कि महिलाओं को आर्थिक लाभ भी मिल रहा है। गांव के शिक्षित युवा और होमस्टे संचालक जितेंद्र सिंह ने इस संबंध में बताया कि करीब आठ महिलाएं इस काम से जुड़ी हैं, जिन्हें राखी और कंगन बनाने के बदले 500 रुपये मेहनताना दिया जाता है। तैयार राखियां गांव के युवा ऑनलाइन बेचते हैं और महिलाएं इन्हें अपने रिश्तेदारों को भी भेजती हैं।बता दें कई महिलाएं पिछले तीन वर्षों से इस कार्य में जुड़ी हैं और मानती हैं कि यह परंपरा भाई-बहन के प्रेम के साथ-साथ प्रकृति से जुड़ाव को भी मजबूत करती है।