हिन्दू समाज मानव कल्याण के ईश्वर प्रदत्त पुनीत कार्य में सतत् कार्यरत रहा है। अनेक आसुरी शक्तियाँ इसको विखण्डित करती रही हैं। वर्तमान में इनकी गति और अधिक तीव्र हो गई है। जाति, भाषा, प्रान्त, क्षेत्र, लिंग, पूजा-पद्धति, परम्परा, रीति-नीति तथा आचार-विचार के नाम पर हमारी सामाजिक एकता को विविध प्रकार से तोड़ने के प्रयास किए जा रहे हैं। हिन्दू को हिन्दू के ही विरुद्ध खड़ा किया जा रहा है। जातीय दुराग्रह के आधार पर समाज को विभाजित करने तथा भारत उद्भूत धार्मिक एवं पांथिक व्यवस्थाओं में परस्पर अविश्वास निर्माण करने के षड़यन्त्र एवं धर्मांतरण का सुनियोजित कुचक्र, हिन्दू प्रतीकों, पूज्य संतों, परम्पराओं एवं त्यौहारों के प्रति अश्रद्धा निर्माण करना, हिन्दू पहचान को मिटाने के प्रयास तथा हिन्दू युवा और महिला शक्ति के मन में अपनी ही परम्परा के प्रति आत्महीनता उत्पन्न कर उन्हें उनके मूल से काटना ही इनका उद्देश्य है। इन विघटनकारी प्रवृत्तियों के पीछे विस्तारवादी चर्च, कट्टरपंथी इस्लाम, मार्क्सवाद, धर्मनिरपेक्षतावादी तथा बाजारवादी शक्तियां तीव्रगति से सक्रिय हैं। इसके लिए विदेशी वित्त पोषित, तथाकथित प्रगतिशीलतावादी, धर्मांतरणकारी शक्तियां और भारत विरोधी वैश्विक समूह भी सक्रिय हैं। इनका अन्तिम लक्ष्य हिन्दू समाज को तोड़ना और भारत की जड़ों पर प्रहार करना है।
विश्व हिन्दू परिषद की प्रबंध समिति का यह मत है कि इन षड़यन्त्रों के बावजूद भी हिन्दू जागरण प्रारम्भ हो चुका है। विधर्मियों की अनवरत कुचेष्टाओं का उत्तर देते हुए देश के कोने-कोने से हिन्दू समाज पुनः अपने धर्म, परम्परा, संस्कृति और मूल की ओर लौट रहा है। महाकुम्भ, कांवड़ यात्राएं, श्री अमरनाथ यात्रा, श्री राम जन्मभूमि पर भव्य मंदिर निर्माण के सभी चरणों में समाज की सहभागिता, गौरक्षा आन्दोलनों, विभिन्न धार्मिक आयोजनों, तीर्थों तथा मन्दिरों में हिन्दू समाज के विराट स्वरूप का प्रकटीकरण हो रहा है। राष्ट्रीय एवं हिन्दू जीवन मूल्यों से जुड़े साहित्य, कला, संगीत आदि के प्रति बढ़ता हुआ आकर्षण, हिन्दू नायकों के प्रति बढ़ती श्रद्धा एवं आक्रान्ताओं के प्रति बढ़ता आक्रोश, ये सब हिन्दू जागरण के ही प्रकट लक्षण हैं।
विश्व हिन्दू परिषद सभी कार्यकर्ताओं, पूज्य संतों, सामाजिक, धार्मिक संगठनों, मातृशक्ति तथा समस्त हिन्दू समाज का आह्वान करती है कि वे विखण्डनवादी शक्तियों को पहचानें। अपने अन्तर्निहित भेदभावों को जड़मूल से समाप्त करें। सरकारें नैतिक शिक्षा को पाठ्यक्रम में समाविष्ट करें। प्रत्येक हिन्दू जाग्रत एवं संगठित होकर समाज विरोधी शक्तियों का प्रभावी प्रतिकार करे, तभी हमें न कोई तोड़ सकेगा और न ही मिटा सकेगा।