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संभल में बावड़ी का राज खुला, 13 सीढ़ियां और दीवारें मिलीं

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- राज्य पुरातत्व टीम ने किया निरीक्षण

- बावड़ी का यह अस्तित्व 17 दिसंबर को सामने आया

संभल। उत्तर प्रदेश के संभल जिले के चंदौसी इलाके के मुस्लिम बहुल मोहल्ला लक्ष्मणगंज में एक सदियों पुरानी बावड़ी का राज अब धीरे-धीरे खुलने लगा है। नगर पालिका परिषद की पचास लोगों की टीम और प्रशासनिक अधिकारियों की देखरेख में बावड़ी की खुदाई का कार्य जारी है, जिसमें 13 सीढ़ियां और बावड़ी की दीवारें साफ नजर आने लगी हैं।

मंगलवार को चौथे दिन की खुदाई के दौरान बावड़ी में 13 सीढ़ियां स्पष्ट रूप से दिखाई दीं। पालिका के 30 मजदूरों ने फावड़े से मिट्टी हटाने का कार्य किया, जबकि एक जेसीबी और तीन ट्रैक्टर ट्रॉली भी मौके पर मौजूद थे। कार्य के दौरान, मजदूरों ने गलियारे से मिट्टी निकाल कर बाहर डाली, और जेसीबी ने मिट्टी को ट्रैक्टर-ट्रॉलियों में भरकर बाहर भेजा। शाम होते-होते 13 सीढ़ियां और बावड़ी की दीवारें पूरी तरह से सामने आ गईं।

इस बावड़ी का राज खोलने के लिए प्रशासन ने एएसआई की एक टीम को भी भेजा, जिन्होंने बुधवार को बावड़ी का निरीक्षण किया। इसके अलावा, एएसआई की टीम ने संभल के लाडम सराय इलाके में भी पहुंचकर वहां खुदाई के दौरान मिले एक पुराने कुएं का निरीक्षण किया।

बावड़ी का यह अस्तित्व 17 दिसंबर को सामने आया जब मोहल्ला लक्ष्मणगंज में बांके बिहारी मंदिर की जीर्णोद्धार की प्रक्रिया शुरू की गई थी। सनातन सेवक संघ के कार्यकर्ताओं ने तहसील में आयोजित संपूर्ण समाधान दिवस में मंदिर के पास एक गली में बावड़ी होने का दावा करते हुए डीएम राजेंद्र पैंसिया को प्रार्थनापत्र दिया था। डीएम के आदेश पर प्रशासन ने खुदाई शुरू की, और अब बावड़ी की दीवारें साफ तौर पर दिखने लगी हैं।

बावड़ी की खोदाई में नगर पालिका परिषद के जल निगम, सेनेटरी इंस्पेक्टर, रेवन्यू इंस्पेक्टर और जेई सहित 50 लोगों की टीम जुटी हुई है। इनकी देखरेख में काम चल रहा है और जेसीबी, ट्रैक्टर ट्रॉली की मदद से मिट्टी हटाई जा रही है।

इसके साथ ही, मंगलवार को बांके बिहारी मंदिर की भूमि की पैमाइश भी कराई गई, जिसमें जमीन पर अवैध रूप से किए गए अतिक्रमण का भी पता चला। अब अतिक्रमण हटाकर मंदिर का जीर्णोद्धार कार्य जल्द शुरू किया जाएगा।

इन घटनाओं ने क्षेत्र में ऐतिहासिक धरोहरों के पुनरुद्धार को लेकर नई उम्मीदें जगा दी हैं। बावड़ी और मंदिर के जीर्णोद्धार से इलाके का ऐतिहासिक महत्व और बढ़ सकता है, और साथ ही प्रशासन की ओर से इसके संरक्षण की दिशा में कदम भी उठाए जाएंगे।