भारत रत्न जहांगीर रतनजी दादाभाई टाटा जी की
29 जुलाई 1904 - 29 नवम्बर 1993
कर्मयोगी जहांगीर रतनजी दादाभाई टाटा भारत के प्रमुख उद्यमी थे। वह भारत के प्रथम
लाइसेंसधारी पायलट थे। उन्हें भारत के नागरिक उड्डयन का पितामह कहा जाता है। 1932 में उनके द्वारा स्थापित टाटा एयरलाइन्स ही
बाद में एयर इण्डिया के रूप में भारत की राष्ट्रीय उड़ान सेवा बनी। उन्होंने
समाजसेवा के लिए सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट के ट्रस्टी के रूप में कार्य किया। उनके
मार्गदर्शन में इस ट्रस्ट ने 1941 में 'टाटा मेमोरियल
सेंटर फ़ॉर कैंसर रिसर्च एंड ट्रीटमेंट' की स्थापना की
थी। यह एशिया में अपने तरह का
पहला कैंसर का अस्पताल था। उन्होंने भारत की शिक्षा के
आधारभूत ढांचे को विकसित करने में भी अहम भूमिका निभाई। उन्होंने 'टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ़ सोशल साइंसेज', 'टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ़ फ़ंडामेंटल रिसर्च', और 'नेशनल सेंटर फ़ॉर
परफ़ार्मिंग आर्ट्स' की भी स्थापना की।
भारतीय उद्योग जगत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हुए उन्होंने देश को आर्थिक रूप
से सशक्त भी किया। विभिन्न क्षेत्रों में उनके महत्वपूर्ण योगदान हेतु उन्हें देश
के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से अलंकृत किया गया।