हिन्दू समाज को विखंडित करने वाली शक्तियों को देंगे करारा जवाब – आलोक कुमार
विहिप जलगांव बैठक में मंदिर स्वाधीनता आंदोलन की घोषणा
जलगांव (जुलाई 20, 2025)। महाराष्ट्र के जलगांव में शनिवार को प्रारंभ हुई विश्व हिन्दू परिषद की केंद्रीय प्रबंध समिति की दो दिवसीय बैठक आज मंदिरों के सरकारी नियंत्रण से मुक्ति तथा हिन्दू समाज को विखंडित करने वाली शक्तियों के विरुद्ध एकजुटता के संकल्प के साथ पूरी हो गई।
बैठक में हुए निर्णयों की जानकारी देते हुए विश्व हिन्दू परिषद के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष आलोक कुमार ने कहा कि हिन्दू समाज का संकल्प है कि अब मंदिर सरकारी कब्जे में नहीं रहेंगे। समाज अब उन्हें मुक्त करवा कर ही रहेगा।
साथ ही जाति, भाषा, प्रांत, क्षेत्र व लिंग इत्यादि के आधार पर हिन्दू समाज के विविध घटकों को अलग-अलग करने की विभाजनकारी मानसिकता के विरुद्ध बैठक में एक प्रस्ताव भी पारित किया गया। जिसमें सभी कार्यकर्ताओं, पूज्य संतों व सामाजिक संगठनों के साथ संपूर्ण हिन्दू समाज से आह्वान किया गया कि वह समाज को तोड़ने वाली शक्तियों को पहचान कर अपने अंतर्निहित भेदभावों को दूर कर, संगठित रहें तो हमें ना कोई तोड़ सकेगा और ना ही मिटा सकेगा।
विश्व हिन्दू परिषद अध्यक्ष ने कहा कि कभी पीडीए तो कभी मीम – भीम, कभी आर्य-द्रविड़ तो कभी महिषासुर-दुर्गा, कभी भाषा-जाति तो कभी राज्य व क्षेत्रवाद, तो कभी ओआरपी जैसे मुद्दों के माध्यम से कुछ हिन्दू द्रोही शक्तियां हिन्दू समाज की एकजुटता को तोड़ने में लगी हैं। हमने 1969 में ही संकल्प लिया था कि ‘हिन्दवा: सोदरा सर्वे, न हिन्दू पतित भवेत्’ अर्थात् हिन्दू हम सब भाई हैं। कोई ऊंचा नीचा नहीं है। हम हिन्दू द्रोहियों के विभाजनकारी षड्यंत्रों को फलीभूत नहीं होने देंगे।
इस सम्बन्ध में, विहिप की केंद्रीय प्रबंध समिति बैठक में पारित प्रस्ताव, ‘संगठित एवं सशक्त हिन्दू ही समाज विखंडन के षड्यंत्रों का एकमेव समाधान’ में कहा गया है कि ‘इन विघटनकारी प्रवृत्तियों के पीछे विस्तारवादी चर्च, कट्टरपंथी इस्लाम, मार्क्सवाद, धर्मनिरपेक्षतावादी तथा बाजारवादी शक्तियां तीव्र गति से सक्रिय हैं। इसके लिए विदेशी वित्त पोषित, तथाकथित प्रगतिशीलतावादी, धर्मांतरणकारी शक्तियां और भारत विरोधी वैश्विक समूह भी सक्रिय हैं। इनका अंतिम लक्ष्य हिन्दू समाज को तोड़ना और भारत की जड़ों पर प्रहार करना है।’ प्रस्ताव में हिन्दू समाज से आह्वान करते हुए कहा गया है कि ‘विखंडनकारी शक्तियों को पहचान कर अपने अंतर्निहित भेदभावों को जड़मूल से समाप्त करें।’ इसमें सरकारों से भी ‘नैतिक शिक्षा को पाठ्यक्रम में समाविष्ट’ करने का आह्वान किया गया है।
मंदिर स्वाधीनता आंदोलन
आलोक कुमार ने कहा कि बैठक में मंदिरों की सरकारी नियंत्रण से मुक्ति हेतु एक व्यापक कार्य योजना भी बनाई गई है। इसके अंतर्गत हिन्दू समाज के प्रतिनिधि आगामी 7 से 21 सितंबर के बीच राज्यों के मुख्यमंत्रियों से मिलकर ज्ञापन देंगे। प्रत्येक महानगर में प्रबुद्धजनों की सभा करके इसके प्रति समर्थन बढ़ाया जाएगा। दूसरे चरण में, देश की सभी बड़ी विधानसभाओं के सत्र के दौरान विधायकों से व्यापक संपर्क करेंगे, जिससे वे अपनी राज्य सरकारों पर इस हेतु उचित दबाव बना कर, मंदिरों को स्वाधीन करा सकें।
महाराष्ट्र के जलगांव स्थित बलाणी रिसॉर्ट में संपन्न हुई बैठक में विहिप के केंद्रीय महामंत्री बजरंग लाल बागड़ा ने संगठन की छमाही प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत कर पिछली बैठक की कार्यवाही का अनुमोदन भी सदन से कराया। इसमें विहिप के संगठन महामंत्री मिलिंद परांडे, सह संगठन महामंत्री विनायकराव देशपांडे, वरिष्ठ उपाध्यक्ष व श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के महासचिव चंपतराय, कोषाध्यक्ष रमेश गुप्ता के अतिरिक्त बजरंगदल, दुर्गावाहिनी, मातृ शक्ति, गौरक्षा, सेवा, समरसता, सत्संग, धर्मप्रसार, मठ मंदिर जैसे आयामों के राष्ट्रीय व क्षेत्रीय प्रमुख भी उपस्थित थे। बैठक में सभी प्रांतों के 265 विहिप पदाधिकारियों तथा नेपाल से पधारे संगठन के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।