सरदार स्वर्ण सिंह जी के बलिदान दिवस पर कोटि-कोटि नमन
1887 - 20 जुलाई 1910
सरदार स्वर्ण सिंह जी का जन्म जालंधर के खटखट कड़ा गांव में हुआ था। देशभक्ति उनके खून में थी, उनके पिता अर्जुन सिंह जागरण क्रांति के नेता, चाचा अजीत सिंह"पगड़ी संभाल जट्टा" आंदोलन के अग्रदूत, और बड़े भाई किशन सिंह लोकमान्य तिलक के समर्थक थे।
उन्होंने भी मात्र 16 वर्ष की आयु में अंग्रेजों के खिलाफ बगावत की शुरुआत कर थी दी। उनकी क्रांति ने अंग्रेजी हुकूमत को हिला कर रख दिया था ।
नतीजतन, उन्हें जेल में कोल्हू के बैल की तरह काम कराया गया और प्रतिदिन 30 कोड़े मारे गए। आखिरकार, 20 जुलाई 1910 को वे माँ भारती के लिए अपने प्राणों का बलिदान दे गए।