मंगल पाण्डेय जी की जयन्ती पर कोटि-कोटि नमन
19 जुलाई 1827 - 8
अप्रैल 1857
उत्तर
प्रदेश के बलिया में जन्में 22 वर्षके मंगल पाण्डेय ईस्ट इंडिया कंपनी की 34वीं
बंगाल नेटिव इन्फेंट्री में सिपाही थे। ब्रिटिश सेना में रहते हुए ही उन्होंने यह
अनुभव कर लिया था कि अंग्रेज कैसे उनके देशवासियों का शोषण कर रहे हैं।यह सब देखकर
उनके भीतर ब्रिटिश तंत्र के विरुद्ध क्रांति जन्म लेने लगी थी। बैरकपुर परेड मैदान
कलकत्ता के निकट 29 मार्च 1857 को
रेजीमेंट के अफसर लेफ्टिनेंट बाग द्वारा चर्बी वाले कारतूस को लेकर जोर-जबर्दस्ती
किए जाने पर क्रांतिवीर मंगल पांडेय ने उन पर हमला कर दिया। ब्रिटिश सत्ताके
विरुद्ध किसी भी सैनिक का यह पहला हमला था। उन्होंने सार्जेंट मेजर ह्यूसन को भी
गोली मार दी और ‘मारो फिरंगियों को’ की हुंकार के साथ ब्रिटिश हुकूमत केविरुद्ध विद्रोह कर दिया।किन्तु अंग्रेजी सेना की अन्य टुकडियां
भी आ गयी, औरघायल मंगल पाण्डेय को गिरफ्तार कर लिया गया।8 अप्रैल
1857 को उन्हेंगोपनीयतरीके से फांसी देदी गयी। मंगल पाण्डेय
का बलिदान व्यर्थ नहीं गया।इस विद्रोह ने उस क्रांति की शुरुआत कर दी थी जिसने अंतत:
भारत को 1947 में स्वाधीन कराया।