- लंदन निवासी बांग्लादेशी मुसलमान महिला बनी सनातनी
- बांग्लादेशी मुस्लिम महिला बनी हिंदू
- 27 साल बाद आत्मा को मिली शांति — जब एक माँ ने अपनाया सनातन धर्म
वाराणसी : सनातन धर्म की जड़ें कितनी गहराई तक समाई हैं, यह तब और भी स्पष्ट हो गया जब बांग्लादेशी मुस्लिम महिला अंबिया बानो ने अपने पूर्वजों द्वारा छोड़े गए मार्ग को पुनः अपनाते हुए, आत्मचेतना और सत्य की खोज में सनातन धर्म की शरण ली — यह केवल एक व्यक्तिगत निर्णय नहीं, बल्कि सनातन की सार्वकालिक, सर्वसमावेशी और आत्मा को स्पर्श करने वाली महानता का जीवंत प्रमाण है। 27 साल पहले अंबिया ने एक फैसला लिया गर्भ में पल रही अपनी बच्ची को खत्म करने का। समाज ने चुप्पी साध ली लेकिन एक आत्मा थी… जो मौन नहीं रही। हर रात अंबिया के सपनों में वही आवाज आती रही मुझे मुक्त करो माँ… मुझे मोक्ष चाहिए। वो लंदन में रहीं, पढ़ी-लिखी थीं, धर्म और दर्शन की किताबें पढ़ी, लेकिन आत्मा की पुकार का उत्तर केवल एक जगह मिला — सनातन धर्म में। अंततः उन्होंने जाना — काशी ही एकमात्र स्थान है जहाँ आत्मा को मोक्ष मिलता है। यहाँ पिंडदान से, वैदिक विधियों से हम अपने उन कर्मों का प्रायश्चित कर सकते हैं जो शरीर से नहीं, आत्मा से जुड़े होते हैं। और तब अंबिया ने तय किया अब जीवन छलावे में नहीं जिएंगी। अब वो अपनी बेटी को मुक्त करेंगी और खुद भी उसी सनातन के मार्ग पर चलेंगी जो सृष्टि की शुरुआत से चला आ रहा है। वो पहुँचीं काशी। गंगा स्नान किया। पंचगव्य से शुद्धि की और पूरी श्रद्धा के साथ सनातन धर्म को अपनाया। अब वो अंबिया बानो नहीं है — अब वो है अंबिया माला। अंबिया माला ने कहा “मेरे पूर्वजों ने जो नहीं समझा, मैंने समझा। मोक्ष चाहिए तो सत्य के मार्ग पर चलना होगा। सनातन धर्म ही वह मार्ग है। यह केवल एक महिला की कथा नहीं है, यह उस सनातन सत्य की आवाज है जो आज भी आत्माओं को मोक्ष दिला रहा है। यह धर्म परिवर्तन नहीं — धर्म की ओर लौटना है। यह सनातन की शक्ति है। यह हिंदू धर्म का गौरव है। काशी बोल रही है —जहाँ गंगा बहती है, वहाँ मोक्ष मिलता है। जहाँ श्रद्धा होती है, वहाँ सनातन जीवित है।