लखनऊ, उत्तर प्रदेश
स्पेस में लहराया तिरंगा: 41 वर्ष बाद कोई भारतीय इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर, PM मोदी ने दिया खास होमवर्क
अमिट परंपरा के भारतीय जब इसे अपना ध्येय वाक्य बना ले तो धरती क्या आकाश भी अपने बाहें खोल देता है। 1984 में राकेश शर्मा की उड़ान के 41 वर्ष बाद फिर एक भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन पर तिरंगा फहराया है। भारतीय वायुसेना के अधिकारी ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला 14 दिनों के लिए अब अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर हैं। 26 जून को अमेरिका के फ्लोरिडा स्थित कैनेडी स्पेस सेंटर से SpaceX के Falcon-9 रॉकेट द्वारा Axiom मिशन-4 के अंतर्गत प्रक्षेपण हुआ। शुभांशु के साथ अमेरिका, तुर्किये और इटली के अंतरिक्ष यात्री भी मौजूद हैं। यह एक निजी, व्यावसायिक और बहुराष्ट्रीय मिशन है। अंतरिक्ष से शुभांशु ने भारत के झंडे के साथ तस्वीर साझा की और भावुक होकर बताया कि पृथ्वी उन्हें सीमाओं से परे, एक सुंदर और संयुक्त इकाई के रूप में दिख रही है। भारत उन्हें वहाँ से "विशेष रूप से भव्य" नजर आ रहा है।
क्या है AX-4 मिशन
Ax-4 मिशन का मुख्य उद्देश्य अंतरिक्ष में रिसर्च करना और नई टेक्नोलॉजी को टेस्ट करना है। ये मिशन प्राइवेट स्पेस ट्रैवल को बढ़ावा देने के लिए भी है और एक्सियम स्पेस प्लानिंग का हिस्सा है, जिसमें भविष्य में एक कमर्शियल स्पेस स्टेशन बनाने की योजना है। जहां आम लोग भी जाकर रुक सकेंगे यानि अंतरिक्ष में सैर-सपाटे का शानदार अनुभव ले सकेंगे। वहीं वैज्ञानिक प्रयोग में माइक्रोग्रेविटी में विभिन्न प्रयोग करना है। टेक्नोलॉजी टेस्टिंग में अंतरिक्ष में नई तकनीकों का परीक्षण और विकास करना है। एजुकेशनल एक्टिविटीज में अंतरिक्ष से पृथ्वी पर लोगों को प्रेरित करना और जागरूकता फैलाना है।
भारत के लिए यह मिशन कितना अहम है?
मिग, सुखोई और तेजस जैसे लड़ाकू विमान उड़ा चुके शुभांशु का ये अनुभव गगनयान मिशन (2027 में प्लान्ड) के लिए बहुत मददगार होगा। वापस आने के बाद वो जो डेटा और अनुभव लाएंगे, वो भारत के अंतरिक्ष प्रोग्राम को आगे बढ़ाने में हेल्प कर सकता है। इसके अलावा शुभांशु शुक्ला अंतरिक्ष में खेती के प्रयोग भी करेंगे। उनका कहना है कि माइक्रोवेल की ग्रोथ के ऊपर एक्सपेरिमेंट कर रहे हैं, ये बहुत छोटे होते हैं लेकिन इनमें बहुत न्यूट्रीशन होते हैं, अगर हम ऐसे प्रोसेस की खोज करें कि हम अधिक मात्रा में इन्हें उगा सकें, तो ये धरती पर फूड सिक्योरिटी के क्षेत्र में बहुत फायदेमंद साबित होगा। स्पेस का सबसे बड़ा एडवांटेज ये है कि यहां पूरा प्रोसेस बहुत जल्दी होती है, तो हमें महीनों या सालों तक इंतजार करने की जरूरत नहीं होती है।
प्रधानमंत्री मोदी का 'होमवर्क'
इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर मौजूद शुभांशु शुक्ला से पीएम मोदी ने बात की और उन्हें खास होमवर्क भी दिया। पीएम मोदी ने कहा- आपका होमवर्क है कि आपको जो अनुभव मिल रहा है, उससे हमें मिशन गगनयान को आगे बढ़ाना है, हमें अपना खुद का स्पेस स्टेशन बनाना है, चंद्रमा पर भारतीय एस्ट्रॉनॉट की लैंडिंग भी करानी है। इस पर शुभांशु ने कहा कि यहां पर मुझे जो अनुभव मिल रहे हैं, वह बहुत कीमती हैं। मैं जब वापस आऊंगा, तो निश्चित ही गगनयान समेत अन्य मिशनों को आगे बढ़ाने के लिए काम करूंगा। शुभांशु बोले- मुझे खुशी हुई जब उन्होंने पूछा कि हम कब गगनयान पर जा सकते हैं। तो मैंने कहा- जल्द ही।
भारत के युवाओं के लिए प्रेरणा
यह मिशन सिर्फ वैज्ञानिक शोध भर नहीं है अपितु यह भारत के युवाओं को एक संदेश देता है कि अब आकाश ही सीमा नहीं है। पीएम मोदी ने कहा कि आज बच्चे सिर्फ आसमान नहीं देखते, वो सोचते हैं कि मैं भी वहां पहुंच सकता हूं। यही भावना हमारे भविष्य के स्पेस मिशन की बुनियाद है। शुभांशु ने कहा कि आज का भारत जिस दिशा में जा रहा है, उसने बहुत बोल्ड और बड़े सपने देखे हैं।