ध्यान से देखिए ये दो चेहरे
मासूम चेहरों के
पीछे कोई गहरी साजिश? इस बात का अनुमान
लगाना भी मुश्किल है।
चेहरे पर दुपट्टा लपेटे ये युवतियां उज्बेकिस्तानी घुसपैठिया हैं। इन दो युवतियों ने घुसपैठ कर भारत में अवैध रूप से बसने के लिए जो पैटर्न अपनाया, वो वाकई हैरान कर देने वाला है। घुसपैठ और फिर छिपम-छिपाई में ऐसे चौंकाने वाले षड्यन्त्र का खुलासा हुआ, जिसने इस दिशा में गहराई से सोचने पर विवश कर दिया कि घुसपैठ देश के लिए कितना खतरनाक है!इस एक घटना ने न केवल देश विरोधी खतरनाक विदेशी षड्यंत्र के संकेत दे दिए, अपितु देश में ही बैठे राष्ट्र द्रोही रैकेट की भी पोल खोलकर रख दी है। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से उज्बेकिस्तान की इन युवतियों को पकड़ा गया, तो पूछताछ में इन युवतियों ने एक गहरे षडयन्त्रकी ओर इशारा कर दिया।
हालांकि उज्बेकिस्तानियों के अवैध घुसपैठ की ये पहली घटना नहीं है।
जून, 2023 फिरोजपुर, पंजाब
उज्बेकिस्तानी महिला गिरफ्तार
इससे पहले जून 2023 में पंजाब बॉर्डर से उज्बेकिस्तानी महिला गिरफ्तार हुई, जो वाया भारत पाकिस्तान की ओर जाने की कोशिश कर रही थी।
जुलाई, 2023 सीतामढ़ी, बिहार युज्बेकिस्तानी युवक गिरफ्तार
जुलाई 2023 में भारतीय जवान ने इंडो नेपाल बॉर्डर पर एक उज्बेकिस्तानी
युवक को गिरफ्तार किया। वह इंडो-नेपाल बॉर्डर क्षेत्र से नेपाल के रास्ते भारतीय
क्षेत्र में घुसपैठ करने की कोशिश कर रहा था।
दिसंबर 2023 मधुबनी, बिहार
इंडो-नेपाल सीमा से महिला गिरफ्तार
दिसंबर 2023 में बिहार के ही मधुबनी में इंडो-नेपाल बॉर्डर से SSB ने उज्बेकिस्तान की एक महिला को अवैध रूप से एंट्री करते पकड़ लिया था। पूछताछ में महिला ने दिल्ली में अपने दोस्त राकेश के पास जाने की बात बताई, जो दिल्ली में गाड़ी चालक था। महिला के पास से द्वारकापुरी पते का फर्जी आधार कार्ड, 1260 रूपए नेपाली करेंसी, 5 डॉलर, भारतीय मुद्रा के 20 रूपए, युएई के 3 सिक्के, एक मोबाइल, 3 सिम कार्ड तथा एक सूटकेस बरामद हुआ।
अक्टूबर 2021 अररिया, बिहार 3 उज्बेकिस्तानी युवतियां गिरफ्तार
अक्टूबर 2021 में बिहार के सीमावर्ती जिले अररिया से 3 उज्बेकिस्तानी युवतियां गिरफ्तार हुई थीं, जो फर्जी दस्तावेजों की मदद से रह रही थीं और इनके दो मददगार मोहम्मद इस्माइल और सरोज कुमार साह भी पकड़े गए थे।
जून 2020 महराजगंज, उत्तर प्रदेश
नेपाल
के रास्ते अवैध रूप से भारत में प्रवेश कर रही उज्बेकिस्तानी महिला को सोनौली
बार्डर पर गिरफ्तार कर लिया गया है। पासपोर्ट की वैधता समाप्त होने के बाद भी वह
खुद को कश्मीरी पंडित बताकर दिल्ली जाने की फिराक में थी। जांच में महिला की पहचान
उज्बेकिस्तान के थरगाना निवासी नरगिस ओतकोरमा पुत्री किरगिन के रूप में हुई।
छानबीन में पता चला कि वर्ष 2008 में
उज्बेकिस्तान की महिला दिल्ली पहुंची। पंजाब के जालंधर निवासी सरबजीत कुमार से
महिला ने शादी कर ली।
दिल्ली से उज्बेकिस्तान 1,821 किमी दूर है। बड़ी संख्या में उज्बेकिस्तानी नागरिक भारत में
इलाज कराने आते हैं। भारत-उज्बेकिस्तान के बीच संबंध ठीक है और वीजा सेवा भी सहज
है। ऐसे में अवैध घुसपैठ क्यों?
उज्बेकिस्तान से भारत में घुसपैठ करने वाली अधिकतर
महिलाएं ही क्यों?
महिलाओं का घुसपैठ करना आसान है क्या?
लखनऊ से गिरफ्तार युवतियों की ही बात करें, तो उनके
मददगार दो युवक पकड़े गए हैं। मधुबनी, अररिया की भी बात करें तो अवैध घुसपैठ कर
भारत में एंट्री करने वाली उज्बेकिस्तानी युवतियों के संबंध भारतीय युवाओं से
निकले।
जिससे एक बात तो तय है कि उज्बेकिस्तानी महिलाएं अवैध
एंट्री सहज तरीके से कराने और भारत में बसने के लिए भारतीय युवाओं का इस्तेमाल
करती है। हनी ट्रैप का प्रयोग कर भारत में बसने और फिर पाकिस्तान में घुसकर
चोरी-छिपे आतंकी ट्रेनिंग लेने की कोशिश की जा रही है? क्या ये कोई गहरे षड्यन्त्र का इशारा नहीं है? आखिर घुसपैठ के बाद प्लास्टिक सर्जरी
कर पहचान छिपाने की मंशा के पीछे किसका मस्तिष्क है?
अभी
तक स्पष्ट नहीं हो पाया है कि ये लड़कियां यहां किस उद्देश्य से घूम रही थीं। पुलिस
जांच से ही उनकी सच्चाई बाहर आएगी, लेकिन
एक बात लोगों को सता रही है कि आखिर इस सीमावर्ती क्षेत्र में ही इतने विदेशी
नागरिक क्यों रह रहे हैं या आ रहे हैं! एक और बात बहुत चौंकाने वाली है,
अफगानिस्तान की इन युवतियों की सोशल मीडिया के माध्यम से पहले भारतीय युवाओं से
दोस्ती होती है फिर वे अवैध रूप से यहां आ जाती है, जिन्हें छिपने में सहायता करते
हैं लव जिहाद का शिकार भारतीय युवा। जानकारों का कहना है कि इसके पीछे कोई न कोई
गहरा षड्यन्त्र छिपा है। अब जरूरत है कि ऐसे मामलों की गंभीरता से जांच होनी चाहिए
ताकि देश की सुरक्षा खतरे में न पड़ने पाए।
वैसे तो भारत
में घुसपैठ का पैटर्न लगभग एक सा है, जैसे सीमा पार से चोरी-छिपे एंट्री, एजेंट से
फर्जी दस्तावेज बनवाना, किसी फैक्ट्री या छोटे संस्थान में नौकरी पकड़ना और फिर
झुग्गियां बनाकर रहने लगना, धीरे-धीरे दूसरे रिश्तेदारों को बुलाकर झुंड में
झुग्गियां बसाना और फिर धीरे-धीरे उसे बस्ती में बदल देना। सरकारी जमीन कब्जा कर कच्चे
घर बना लेना और फिर बुलडोजर एक्शन होने पर सरकारी तंत्र को नुकसान पहुंचाना।
शहर-कस्बों में दंगे करवाना आदि।
गरीबी और विवशता
का लिबास ओढ़े ये घुसपैठियों का असल मकसद देश की जड़ों को नुकसान पहुँचाना होता है।
यही स्लीपर सेल आतंकी घटनाओं में आतंकियों को छिपने-छिपाने में मदद करते हैं। यही
कारण है अमेरिका में सत्ता संभालते ही ट्रंप ने सबसे पहला चाबुक घुसपैठ की समस्या
पर चलाया। ट्रंप ने न केवल अमेरिका में अवैध घुसपैठियों को बाहर निकाला.. बल्कि
अमेरिका की जमी से भारत के खिलाफ षड्यंत्र रचने वाली usaid जैसे संगठन को भी बाहर का रास्ता दिखा दिया।
वैसे तो अवैध
घुसपैठियों की संख्या भारत में लगभग 5-6 करोड़ बताई जाती है, जो न केवल देश की
सुरक्षा-संप्रभुता को नुकसान पहुंचा रहे हैं, अपितु भारतीय नागरिकों का हक भी गप
कर जा रहे हैं। यही वजह है कि वर्तमान सरकार घुसपैठियों को लेकर सख्त एक्शन ले रही
है। एक-एक घुसपैठियों को उसके देश लौटाने के लिए पुलिस और जांच एजेंसियां मिलकर बड़े
स्तर पर अभियान चला रही हैं। दिल्ली से लेकर देशभर में पहचान कर घुसपैठियों की
गिरफ्तारी हो रही है।