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इतिहास

आचरण ही पहचान - श्री गुरुजी

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आचरण ही पहचान -  श्री गुरुजी

" चिह्न से इस प्रकार के संप्रदाय उत्पन्न हो जाते हैं। हम हिंदू हैं, यही हमारा चिह्न है। इस विचार के कारण हमारे बर्ताव में जो परिवर्तन होगा, जैसा आचरण होगा, वही हमारा चिह्न है । अंतःकरण के शुद्ध राष्ट्रीय भाव, संपूर्ण जीवन को राष्ट्र के लिए व्यतीत करने के व्रत की तेजस्विता से उत्पन्न आत्मविश्वास के कारण स्वयंसेवक की चाल-ढाल, रंग-ढंग - सभी कुछ बदल जाता है और यही उसका वास्तविक चिह्न है।,,

|| श्री गुरुजी समग्र, खंड-2, प्रथम संस्करण, सुरुचि प्रकाशन, पृष्ठ 79-80 ||