देहरादून, उत्तराखण्ड
देहरादून में शिक्षा क्षेत्र में एक अनोखी पहल शुरू हुई है। जी हां जनजातीय विद्यालय वनवासी गुरुकुल दून संस्कृति स्कूल अब अपने छात्रों को केवल किताबों की पढ़ाई नहीं कराएगा, बल्कि जीवन से जुड़े मूल्य और सही सोच भी सिखाएगा। बताते चलें कि स्कूल प्रबंधन ने यह निर्णय लिया है कि श्रीमद्भगवद्गीता अब छात्रों के दैनिक और अनिवार्य पाठ्यक्रम का हिस्सा होगी। स्कूल प्रशासन का कहना है कि गीता केवल धार्मिक ग्रंथ नहीं, बल्कि जीवन जीने की कला सिखाने वाली मार्गदर्शिका है, जिसमें कर्तव्य, आत्मविश्वास, नैतिकता और जीवन प्रबंधन जैसे आवश्यक विषय शामिल हैं।

जनजातीय पृष्ठभूमि से आने वाले छात्रों के लिए यह पाठ्यक्रम आत्मसम्मान और अनुशासन बढ़ाने में बहुत मददगार होगा। वही स्कूल प्रशासन के इस कदम को छात्रों ने उत्साह से स्वीकारा हैं। साथ ही विशेषज्ञ भी यह मानते हैं कि यह कदम शिक्षा को कोवल नौकरी पाने का साधन नहीं, बल्कि जीवन को समझने का माध्यम बनाएगा। झाझरा का यह जनजातीय स्कूल अब एक उदाहरण बनकर उभरा है, जहाँ आधुनिक शिक्षा और भारतीय पारंपरिक ज्ञान का सुंदर मेल दिखाई देता है।



