नैनीताल, उत्तराखण्ड
कहते हैं कि कभी-कभी किस्मत बदलने के लिए सिर्फ रोशनी चाहिए। लेकिन पहाड़ की भीनी-भीनी धूप, जो पहले सिर्फ गर्माहट देती थी, अब उत्तराखंड के नौजवानों की किस्मत बदल रही है। नैनीताल के नाथूपुर की मीना पैंटोला, जो कभी तंगहाली से परेशान होकर पहाड़ छोड़ने को विवश थीं। खाली पड़ी बंजर जमीन उन्हें हर रोज चुभती थी। एक दिन उन्हें मुख्यमंत्री सौर स्वरोजगार योजना के बारे में पता चला. तो उनकी आंखे चमक गई। ऑनलाइन प्रक्रिया, सब्सिडी और जमीन के उपयोग को लेकर योजना की बारीकी से जानकारी ली।
और बस! मीना ने गाँव में वर्षों से खाली पड़ी बंजर जमीन पर लगा दिया, 200 किलोवाट का सोलर प्लांट पहले महीने की ही कमाई ने उनकी जिंदगी बदल दी। वही बंजर जमीन, अगले ही महीने चमकती हुई सोलर पैनलों की कतारों में बदल गई। और अब मीना हर महीने लगभग एक लाख रुपये कमा रही हैं। और सबसे कमाल की बात कि मीना खुद आत्मनिर्भर बनने के साथ-साथ गाँव के 4 युवाओं को भी रोजगार दे रही हैं। उधर उत्तरकाशी के टिपरी में आमोद पंवार ने भी अपनी जमीन पर ऐसा ही सोलर प्रोजेक्ट लगाकर पूरे गांव को चौंका दिया है। टिहरी के प्रताप सिंह रावत ने तो परिवार को पलायन से रोककर उन्हें भी इसी काम में जोड़ लिया है।
पहाड़ के वीरान गाँवों में अब हर सुबह सोलर पैनलों पर पड़ती सुनहरी रोशनी लोगों को एक नए भविष्य का संकेत देती है, जहाँ धूप सिर्फ तपाती नहीं, बल्कि रोजगार भी देती है। आज उत्तराखंड के पहाड़ों में यह योजना सिर्फ बिजली नहीं बना रही- बल्कि 3500 युवाओं को रोजगार, 250 मेगावाट ऊर्जा उत्पादन और गाँवों में दोबारा खिलखिलाहट लौटने की उम्मीद भी जगा रही है। पहाड़ों की यही धूप कभी गर्माहट का एहसास भर थी। आज वही धूप नौजवानों का भविष्य लिख रही है।



