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आतंकवाद पर भक्तों का प्रहार

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जम्मू-कश्मीर

अमरनाथ यात्रा के भक्तों ने पहले दिन ही आतंकवाद पर कड़ा प्रहार किया और अमरनाथ यात्रा 2025 ने नया इतिहास रच दिया. बता दें की बाबा बर्फानी के भक्तों ने आतंकी मंसूबों पर बड़ा प्रहार किया है. एक दिन में ही रिकॉर्ड तोड़ संख्या में पहुंचे श्रद्धालुओं ने सिद्ध कर दिया कि बाबा भोले के वक्त और सनातनी शक्ति पर जब एकजुट होती है तो गोली या बम किसी से नहीं डरती।

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जानकारी के अनुसार अमरनाथ यात्रा के पहले जत्थे में 5,485 श्रद्धालु रवाना हुए, जो पिछले साल के 4,604 की तुलना में काफी अधिक है. इस बार का उत्साह आतंकवाद के खिलाफ एकजुटता का प्रतीक है. वही पहलगाम हमले के बाद श्रद्धालुओं की संख्या को बढ़ते देख प्रशासन ने भी बेहतर तैयारी की है. बताते चलें की इस बार की यात्रा में सुरक्षा व्यवस्था पूरी तरह से त्रिस्तरीय है। जम्मू-कश्मीर पुलिस, सेना और अर्धसैनिक बलों की तैनाती से लेकर ड्रोन, सीसीटीवी और AI आधारित ट्रैकिंग सिस्टम तक सब कुछ हाई अलर्ट पर है।

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वही पहले जत्थे में 5,469 श्रद्धालु और 423 साधु-संत शामिल थे। दोनों पारंपरिक रूटों से हर दिन 10-10 हजार श्रद्धालु भेजे जा रहे हैं। कठुआ, सांबा, उधमपुर और श्रीनगर जैसे प्रमुख स्थानों पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ ने यह सिद्ध कर दिया है कि अब भय नहीं, केवल श्रद्धा का बोलबाला है। इस साल अमरनाथ यात्रा के लिए सरकार और श्री अमरनाथ श्राइन बोर्ड ने व्यापक इंतजाम किए हैं — जैसे यात्रियों के लिए निशुल्क भोजन, चिकित्सा सुविधा, रुकने की जगह, और साफ-सफाई जैसी व्यवस्थाओं को और बेहतर बनाया गया है। वही उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने यात्रा को लेकर अपने संदेश में कहा कि इस बार की अमरनाथ यात्रा आतंक के विरुद्ध एक बहुत बड़ा संदेश बन चुकी है। लोगों का उत्साह और आस्था इस बात का प्रमाण है कि जम्मू-कश्मीर अब बदल चुका है। उन्होंने कहा कि यह यात्रा केवल पवित्र गुफा तक पहुंचने की नहीं, बल्कि आत्मिक अनुभव, आत्मबल और आत्मनिर्भरता की यात्रा है। जम्मू शहर इस अवसर पर नई ऊर्जा से भर गया है, और स्थानीय जनता भी बढ़-चढ़कर इसमें भाग ले रही है।

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बीते पांच वर्षों में जम्मू-कश्मीर में शासन, शिक्षा, चिकित्सा, सड़क और रोजगार के क्षेत्र में जो बदलाव हुए हैं, उन्होंने इस यात्रा को और भी सुरक्षित और सुविधाजनक बना दिया है। स्थानीय लोगों और सरकार की साझेदारी से अब अमरनाथ यात्रा ना केवल सफल हो रही है, बल्कि यह बदले हुए कश्मीर की एक नई तस्वीर पेश कर रही है। यह यात्रा अब केवल धार्मिक यात्रा नहीं रही, बल्कि आतंकवाद के काले साए को पीछे छोड़कर रोशनी की ओर बढ़ते जम्मू-कश्मीर की पहचान बन चुकी है।