अयोध्या,यूपी
सरयू तट पर स्थित रामकथा संग्रहालय में होगी डिजिटल पुस्तकालय की स्थापना।
आज का युग प्रौद्योगिकी और डिजिटल नवाचार का है। सूचनाओं को संरक्षित करने, साझा करने और आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचाने के लिए अब डिजिटल माध्यम सबसे प्रभावशाली तरीका बन चुका है। ऐसे समय में, जब भारत की सांस्कृतिक, धार्मिक और ऐतिहासिक विरासत को नई पीढ़ी से जोड़ना अत्यंत आवश्यक हो गया है, इसलिए सरयू तट पर स्थित रामकथा संग्रहालय में डिजिटल पुस्तकालय की स्थापना एक अत्यंत सराहनीय और दूरदर्शी पहल के रूप में सामने आई है। यह केवल एक तकनीकी परियोजना नहीं, बल्कि राम मंदिर आंदोलन की स्मृतियों, संघर्षों और गौरवशाली क्षणों को सहेजने की एक ऐतिहासिक कर्तव्य भी है।
जानकारी के अनुसार राम मंदिर
निर्माण समिति की बैठक में यह निर्णय लिया गया कि रामकथा संग्रहालय परिसर में एक
अत्याधुनिक डिजिटल पुस्तकालय की स्थापना की जाएगी। इस पुस्तकालय में मंदिर आंदोलन
से जुड़ी कानूनी लड़ाइयों, ऐतिहासिक फोटोग्राफ्स,
वीडियो साक्षात्कार,
अदालतों के फैसले,
समाचार रिपोर्ट्स और दुर्लभ दस्तावेजों को डिजिटाइज़ कर
संग्रहित किया जाएगा। इसका उद्देश्य यह है कि यह समस्त सामग्री केवल संग्रहालय की
दीवारों तक सीमित न रहे, बल्कि भारत और विश्वभर के शोधार्थियों, इतिहासकारों और
जिज्ञासुओं के लिए आसानी से उपलब्ध हो।
यह डिजिटल पुस्तकालय मंदिर आंदोलन को केवल धार्मिक दृष्टिकोण से
नहीं, बल्कि सामाजिक, राजनीतिक, न्यायिक और वैचारिक
संदर्भों से भी समझने का अवसर प्रदान करेगा। यह पहल आधुनिक भारत के सबसे बड़े
सांस्कृतिक आंदोलनों में से एक को एक व्यवस्थित और प्रमाणिक रूप में दस्तावेज़
करने का कार्य करेगी, जिससे आने वाली पीढ़ियां भ्रम और अपुष्ट जानकारी के जाल में न
फंसें। निर्माण समिति
के पदाधिकारियों ने यह भी बताया कि यह डिजिटल पुस्तकालय आने वाली पीढ़ियों के लिए
एक सांस्कृतिक-ऐतिहासिक ज्ञानकोश के रूप में काम करेगा।