मेरठ, उत्तर प्रदेश
जब देश के अधिकतर गाँव और शहर कूड़े-कचरे की समस्या से जूझ रहे हैं, तब उत्तर प्रदेश के मेरठ का एक छोटा सा गाँव मोहद्दीनपुर पूरे देश को नई दिशा दिखा रहा है - जहां कचरा अब सिर्फ गंदगी नहीं, अपितु कमाई, बिजली और आत्मनिर्भरता का स्रोत बन गया है। इस गाँव ने वर्ष 2022 में एक अनोखी शुरुआत की, जहाँ हर दिन घरों से निकलने वाला जैविक कूड़ा को घर - घर से इक्कठा कर के सीधे एक ऊर्जा संयंत्र में भेजा जाता है और वहाँ से बिजली बनती है, जिससे गाँव की गलियाँ, चौक-चौराहे, सार्वजनिक स्थल और सरकारी भवन जगमगा उठते हैं और यही नहीं, इस बिजली उत्पादन से गाँव हर साल लगभग 10 लाख रुपये की आमदनी भी कर रहा है। पहले जहां बदबू, गंदगी और बीमारियाँ आम दृश्य थीं, अब वहां हर कोना साफ है, हर गली रौशन है और हर चेहरा आत्मविश्वास से भरा है। इस नवाचार में अजैविक कचरे को भी बेकार नहीं जाने दिया गया उसे छांटकर रिसायक्लिंग व बिक्री के लिए अलग कर दिया जाता है। आज यह गाँव एक मॉडल बन चुका है, जहाँ ‘स्वच्छता’, ‘सतत ऊर्जा’ और ‘आर्थिक आत्मनिर्भरता’ — तीनों एक साथ पनप रही हैं। यह साबित करता है कि अगर सोच बदली जाए तो वही कचरा जो कभी बोझ था, वही अब भविष्य की चमक बन सकता है। यह एक नया भारत है, जो गंदगी में भी संभावना देखना जानता है — और कूड़े को भी ‘कंचन’ में बदल देना उसकी नई पहचान बनती जा रही है।