नई दिल्ली
केशव कुंज, झंडेवाला में लेखक व स्वयंसेवक प्रशांत पोळ जी की पुस्तक ‘खजाने की शोधयात्रा’ (हिंदी एवं गुजराती) का लोकार्पण सम्पन्न हुआ। ‘प्रज्ञा प्रवाह’ के अखिल भारतीय संयोजक जे. नंदकुमार जी मुख्य अतिथि रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रसिद्ध लेखक एवं पूर्व राज्यसभा सांसद बलवीर पुंज जी ने की। पुस्तक का प्रकाशन प्रभात प्रकाशन ने किया है। कार्यक्रम में पुस्तक के लेखक प्रशांत पोळ ने पुस्तक की भूमिका रखी। मुख्य अतिथि जे. नंदकुमार जी ने पुस्तक के महत्व के साथ ही, ‘खजाने की शोधयात्रा’ क्यों आवश्यक है, इस पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि “इस पुस्तक से स्पष्ट हो जाएगा, भारत ही एक मात्र ऐसा देश है जो ज्ञान देने ओर लेने की प्रक्रिया में परमानंद और आनंद प्राप्त करता है। हमारे देश में नाम भी सोच विचारकर रखे जाते हैं, नाम देने की एक परिपाटी है, परंपरा है। राम हो चाहे श्री कृष्ण, हमारे यहां आंतरिक गुणों के आधार पर नाम रखे जाते हैं, दूसरे कल्चर में बाहरी लक्षणों को देखकर रखे जाते हैं। प्रशांत जी की पुस्तक के माध्यम से भारतीय ज्ञान परंपरा के संदर्भ में ज्ञान प्राप्त करने का अवसर मिलेगा। भारतीय ज्ञान परंपरा में प्रमाण को महत्व दिया जाता है। यह नवाचार के माध्यम से आगे बढ़ता जा रहा है, यह एक साहसिक पहल है, इसका फलक व्यापक और सर्वग्राही है, यह समावेशी है, अन्योन्याश्रित भी है, अंतर्संबंध भी है। इसे देखने का नजरिया बदलने की आवश्यकता है। पुस्तक में 18 अध्याय हैं, लेखक ने रचनात्मक शैली के माध्यम से विज्ञान, इतिहास, गणित जैसे विषयों को सुरुचिपूर्ण तरीके से प्रस्तुत किया है।”
लोकार्पण के अवसर पर वरिष्ठ पत्रकार एवं विचारक, पूर्व राज्यसभा सांसद बलबीर पुंज ने कहा कि “पुस्तक का कलेवर बहुत सुंदर है, इसका कंटेंट भी अच्छा है, प्रस्तुति भी सुंदर है, शब्द विन्यास से पाठक बंध जाता है। यह एक सिक्वल है। इस पुस्तक का अंग्रेजी वर्जन भी आना चाहिए। हमारी सनातन संस्कृति अनेक बाह्य हमलों के कारण ध्वस्त हुई। बौद्धिक विरासत को नष्ट किया गया। अगर लगातार यह हमले नहीं होते तो विश्व का इतिहास और भूगोल बदला हुआ होता। अब तक हम अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे थे, अब हम ज्ञान परंपरा पर कार्य कर रहे हैं।
कार्यक्रम का संचालन ‘प्रभात प्रकाशन’ के प्रभात कुमार ने किया। कार्यक्रम मे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाळे जी, व अन्य गणमान्यजन उपस्थित रहे।