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संभल की बावड़ी: प्राचीन धरोहर की खोज में नए खुलासे

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- 10 दिनों से चल रही खोदाई के दौरान बावड़ी के नए हिस्से उजागर

- दूसरी मंजिल पर एक बड़ा गेट और सीढ़ियों का संगठित ढांचा

संभल। संभल जिले के चंदौसी क्षेत्र में स्थित प्राचीन बावड़ी का रहस्य हर बीतते दिन के साथ गहराता जा रहा है। 10 दिनों से चल रही खोदाई के दौरान बावड़ी के नए हिस्से उजागर हो रहे हैं, जिनसे इसके ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व का अंदाजा लगाया जा सकता है।  

बावड़ी की संरचना और नई खोजें -

तीन मंजिला संरचना- खोदाई में बावड़ी को तीन मंजिला बताया जा रहा है। दूसरी मंजिल पर एक बड़ा गेट और सीढ़ियों का संगठित ढांचा मिला है। 

कुएं की तलाश- जहां कुएं की संभावना थी, वहां खोदाई के दौरान कुएं के चारों ओर के गेट स्पष्ट हो गए हैं। सीढ़ियों के ठीक सामने मौजूद इस कुएं का गेट आर-पार खुला हुआ है।  

गलियारों का नेटवर्क- बावड़ी में गलियारों और सीढ़ियों का नेटवर्क काफी जटिल और प्रभावशाली है। सीढ़ियां कुल 19 पैड़ी की गहराई तक जाती हैं और दूसरी मंजिल का गेट यहीं से शुरू होता है।  

सुरक्षा के कड़े इंतजाम -

बावड़ी स्थल पर किसी भी अप्रिय घटना से बचने के लिए पुलिस और पीएसी तैनात हैं। बाहरी लोगों का प्रवेश प्रतिबंधित कर दिया गया है ताकि खोदाई कार्य बाधित न हो। 

राजा चंद्र विजय सिंह की मांग -

बावड़ी के ऐतिहासिक महत्व को देखते हुए राजा चंद्र विजय सिंह ने इसे पुरातत्व या पर्यटन विभाग को सौंपने की मांग की है। उनका कहना है कि यह बावड़ी सहसपुर बिलारी रियासत की संपत्ति है और इसे भूमाफियाओं और असामाजिक तत्वों से बचाना आवश्यक है।  उन्होंने डीएम को लिखित प्रार्थना पत्र देकर इस धरोहर को संरक्षित करने और चंदौसी वासियों के लिए इसे एक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की अपील की है।  

इतिहास और महत्व -

राजा चंद्र विजय सिंह का दावा है कि यह बावड़ी उत्तर प्रदेश में बनी अन्य बावड़ियों से अनोखी है, क्योंकि राज्य में बावड़ी निर्माण की परंपरा कम थी। पुराने भूलेखों के अनुसार, यह बावड़ी सहसपुर बिलारी रियासत का हिस्सा थी।  

भविष्य की योजना -

संरक्षण और पर्यटन- यदि इसे पुरातत्व विभाग के अधीन किया जाता है, तो यह धरोहर न केवल संरक्षित होगी, बल्कि पर्यटकों को भी आकर्षित करेगी।  

सामाजिक महत्व- यह स्थल स्थानीय लोगों के लिए इतिहास और सांस्कृतिक विरासत से जुड़ने का माध्यम बनेगा।  

संभल की यह बावड़ी न केवल ऐतिहासिक धरोहर है, बल्कि यह अतीत की शिल्पकला और इंजीनियरिंग का बेजोड़ उदाहरण भी है। खोदाई पूरी होने और इसे संरक्षित करने के बाद यह उत्तर प्रदेश के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक बन सकती है।