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12 मास में यूपी पुलिस का शानदार प्रदर्शन, आतंकियों और अपराधियों का किया सफाया

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- यूपी पुलिस ने तीन खालिस्तानी आतंकियों और 20 दुर्दांत अपराधियों को मार गिराया।

- एक लाख से लेकर दो लाख रुपये तक का था इनाम 

लखनऊ। 12 मास उत्तर प्रदेश पुलिस के लिए कई महत्वपूर्ण घटनाओं और उपलब्धियों से भरा रहा। इस साल यूपी पुलिस ने तीन खालिस्तानी आतंकियों और 20 दुर्दांत अपराधियों को मार गिराया। इनमें एसटीएफ की कार्रवाई में मारे गए नौ इनामी अपराधी भी शामिल हैं, जिन पर दो लाख से लेकर एक लाख रुपये तक का इनाम था।

खतरनाक अपराधियों का एनकाउंटर -

एसटीएफ की कार्रवाई में मारे गए अपराधियों में सुल्तानपुर के सराफा की दुकान में डकैती डालने वाला एक लाख का इनामी मंगेश यादव, बिहार के दो लाख का इनामी अपराधी नीलेश कुमार, और एक लाख के इनामी अपराधी विनोद कुमार उपाध्याय, शाहनूर उर्फ शानू, पंकज यादव, अनुज प्रताप सिंह, मो. जाहिद उर्फ सोनू, अनिल उर्फ सोनू उर्फ मटका भी शामिल हैं। जनवरी से दिसंबर तक एसटीएफ ने कुल 769 अपराधियों को गिरफ्तार किया, जिनमें से 139 पर इनाम था।

कानून-व्यवस्था में सुधार -

प्रदेश पुलिस ने कानून-व्यवस्था के मोर्चे पर भी उल्लेखनीय प्रदर्शन किया। धार्मिक स्थलों को लेकर उपजे विवादों के बाद शांति-व्यवस्था कायम रखने में अहम भूमिका निभाई। बहराइच और संभल में हिंसा भड़कने पर पुलिस ने तुरंत सख्त कार्रवाई की, जिससे हालात पर काबू पाया जा सका। लोकसभा चुनाव में भी यूपी पुलिस ने बेहतर प्रदर्शन करते हुए रैलियों, वीवीआईपी मूवमेंट को सकुशल संपन्न कराया। बिना किसी बाधा के अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट मैच भी संपन्न कराए।

पेपर लीक की चुनौती -

फरवरी में 60,244 सिपाहियों की सीधी भर्ती की परीक्षा के पेपर लीक होने के बाद अगस्त में दोबारा परीक्षा कराई गई। एसटीएफ ने पेपर लीक करने वाले गिरोह के अधिकतर सदस्यों को गिरफ्तार कर लिया और नकल माफिया व पेपर लीक गिरोह के एक हजार से ज्यादा सदस्यों को रडार पर रखकर परीक्षा को बिना किसी गड़बड़ी के संपन्न कराया। राज्य सरकार ने पेपर लीक की घटनाओं को रोकने के लिए सख्त नियम बनाए और लागू किए।

अपराधियों को सजा दिलाने में सफलता -

पिछले 12 मास में प्रदेश पुलिस ने 2440 लोगों को सजा दिलाई। विशेष अभियान चलाकर पिछले 18 मास में 48 अपराधियों को मृत्युदंड दिलाया गया। इसी अवधि में 6065 मामलों में आजीवन कारावास, 1046 मामलों में 20 वर्ष और उससे अधिक की सजा, 73 को 15 से 19 वर्ष की सजा, 3610 को 10 से 14 वर्ष की सजा, 5564 को 5 से 9 वर्ष की सजा और 22298 को पांच वर्ष से कम की सजा दिलाई गई। दुष्कर्म के मामलों में 29 लोगों को सजा कराई गई। पुलिस की मुस्तैदी से हत्या के मामलों में 48.57 फीसदी, दहेज मृत्यु में 16.68, दुष्कर्म में 25.34 और शीलभंग में 14.31 फीसदी की कमी आई।

प्राण प्रतिष्ठा में दिखाया कौशल -

पिछले वर्ष में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा समारोह व अन्य महत्वपूर्ण आयोजनों को सफलतापूर्वक संपन्न कराकर यूपी पुलिस ने अपने प्रबंधन कौशल को साबित किया। प्राण प्रतिष्ठा के बाद अयोध्या में भीड़ प्रबंधन भी एक बड़ी चुनौती थी, जिसे पुलिस ने सफलतापूर्वक संभाला। पर्व-त्योहार भी पुलिस की मुस्तैदी से सकुशल संपन्न हुए। हालांकि, हाथरस में सत्संग के दौरान मची भगदड़ में 123 श्रद्वालुओं की मौत ने पुलिस को अपनी तैयारियों के बारे में सोचने को मजबूर भी किया।

एनकाउंटरों पर उठे सवाल -

यूपी पुलिस की इन कार्रवाईयों पर कई सवाल भी उठे। कुछ एनकाउंटर को लेकर विवाद भी हुआ, लेकिन पुलिस ने हर बार कानून का पालन करते हुए अपने कर्तव्यों का निर्वहन किया। 12 मास में  यूपी पुलिस ने अपनी कड़ी मेहनत, साहस और समर्पण से प्रदेश में कानून-व्यवस्था को बनाए रखने में महत्वपूर्ण योगदान दिया।