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ह्दय परिवर्तन और सांस्कृतिक बदलाव से करते है ईसाई धर्मांतरण

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- अयोध्या, लखनऊ, बाराबंकी, सीतापुर, बलरामपुर, श्रावस्ती और बहराइच में है गहरी पैठ 

- हाई पावर एंटीबायोटिक और स्टेरॉयड का इस्तेमाल करके अस्थायी सुधार को चमत्कार के रूप में प्रस्तुत 

उत्तर प्रदेश। उत्तर प्रदेश और अन्य क्षेत्रों में ईसाई मिशनरियों द्वारा धर्मांतरण का मुद्दा हाल के दिनों में व्यापक चर्चा का विषय बना है। विभिन्न रिपोर्टों और सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार, मिशनरियां खासकर आर्थिक रूप से कमजोर, दलित, जनजातीय और सीमावर्ती समुदायों पर केंद्रित होकर अपनी रणनीतियां लागू कर रही हैं। अवध क्षेत्र के जिलों जैसे अयोध्या, लखनऊ, बाराबंकी, सीतापुर, बलरामपुर, श्रावस्ती और बहराइच में मिशनरियों की गहरी पैठ देखी जा रही है। 

धर्मांतरण का तरीका -

1. चंगाई सभा और चमत्कार का दावा: मिशनरियों द्वारा "चंगाई सभा" के माध्यम से लोगों को स्वास्थ्य लाभ और आर्थिक सुधार के चमत्कार का दावा किया जाता है। हाई पावर एंटीबायोटिक और स्टेरॉयड का इस्तेमाल करके अस्थायी सुधार को चमत्कार के रूप में प्रस्तुत किया जाता है।

2. हृदय परिवर्तन: मिशनरियां "धर्म परिवर्तन" के बजाय "हृदय परिवर्तन" पर जोर देती हैं। अनुयायियों के दस्तावेज़ों पर उनका हिंदू नाम और पहचान बनाए रखा जाता है, जिससे वे कानूनी कार्रवाई और सामाजिक विरोध से बच सकें।

3. महिलाओं में सांस्कृतिक बदलाव: मतांतरण करने वाली महिलाओं के पहनावे और प्रतीकात्मक हिंदू परंपराओं में बदलाव लाने का प्रयास किया जाता है। जैसे, वे बिंदी, चूड़ी और सिंदूर लगाना छोड़ देती हैं।

अंतर्राष्ट्रीय नेटवर्क और फंडिंग -

रिपोर्ट्स के मुताबिक, ब्राजील, अमेरिका, और साउथ कोरिया जैसे देशों से फंड प्राप्त किया जा रहा है। कोरियन पास्टरों की भूमिका अहम है, जो भारत के साथ-साथ बंगलुरु, केरल, और पंजाब में भी सक्रिय हैं।

मधेश मॉडल -

नेपाल में मधेश क्षेत्र का मॉडल यूपी में लागू किया जा रहा है। नेपाल में 1951 में ईसाइयों की संख्या शून्य थी, जो 2011 तक बढ़कर 3.76 लाख और अब 6.45 लाख हो गई है। गरीब और दलित समुदाय को लक्षित कर मिशनरियां अपने धर्मांतरण अभियान को सफल बना रही हैं। 

सामाजिक और सांस्कृतिक प्रभाव -

धर्मांतरण के कारण सामाजिक ताने-बाने में बदलाव देखा जा रहा है। नेपाल में धर्मांतरण से राष्ट्रीय एकता पर संकट और सांस्कृतिक पहचान के ह्रास का मुद्दा भी उठाया गया है।उत्तर प्रदेश के संदर्भ में, यह बदलाव वोटिंग पैटर्न और समाज के शक्ति संतुलन को प्रभावित कर सकता है। 

सुरक्षा एजेंसियों की सिफारिशें -

सुरक्षा एजेंसियों ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को इस बदलती रणनीति के बारे में सचेत किया है। रिपोर्टों में इस गतिविधि को लंबे समय तक ध्यान में रखने और इसके प्रभाव का आकलन करने की जरूरत बताई गई है। 

धर्मांतरण के इस घटनाक्रम में स्थानीय समाज, प्रशासन और नीति-निर्माताओं को सतर्क रहने की आवश्यकता है। यह न केवल धार्मिक स्वतंत्रता का मामला है, बल्कि इससे जुड़े सांस्कृतिक और राजनीतिक प्रभाव भी गहरे हैं।