किसी भी राष्ट्र की सुख-समृद्धि का पता इस बात से चलता है कि वहां की जनता कितनी सुखी है और आर्थिक, सामाजिक और वैचारिक रूप से कितनी विकसित हुई है। देश की प्रगति को व्यक्त करने वाले इस भाव को एक शब्द में कहें तो वह है-‘आत्मनिर्भरता’। कोई भी देश स्वावलंबन और स्वदेशी साधनों से ही आत्मनिर्भरता हासिल कर सकता है। आत्मनिर्भरता केवल राजनीतिक नारा नहीं है बल्कि आर्थिक और सामाजिक पुर्ननिर्माण की एक समग्र संकल्पना है। इसमें डिजिटल भुगतान, एमएसएमई का सशक्तिकरण, विनिर्माण प्रोत्साहन, ग्रामीण व पारंपरिक उद्योगों को संरक्षण के मिले-जुले वातावरण से भारतीय अर्थव्यवस्था सशक्त हो रही है। इन निरंतर प्रयासों से ही हम अपने देश को स्वावलंबी, सक्षम और समृद्ध बना सकते हैं।
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने आजादी के आंदोलन में स्वदेशी और स्वावलंबन के साथ स्वभाषा का मुद्दा भी इसी आत्मनिर्भरता के लक्ष्य के लिए उठाया था। आज देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ‘आत्मनिर्भर भारत अभियान’ की अगुवाई कर रहे हैं और उम्मीद की जानी चाहिए 2047 तक हम अपने सपनों में रंग भरने में सक्षम हो जाएंगें। यह सूचना हर्षित करने वाली है कि दुनिया में भारत सबसे तेजी से बढ़ रहा है और यह तब जब अमरीकी प्रशासन की नीतियां हमें हतोत्साहित करने वाली हैं। ऐसे में 8.2 प्रतिशत की विकास दर हासिल करके हमने साबित किया है कि भारत दुनिया की भावी आर्थिक महाशक्ति है। सुधारों और वित्तीय समावेशन ने हमें वहां खड़ा कर दिया है जिसकी आशा बहुत कम लोग कर रहे थे। यह वृद्धि हमारी नीतियों और सुधारों के असर को साबित करती है और बताती है कि भारतीय समाज कड़ी मेहनत से देश के सपनों को साकार कर रहा है।
डिजीटल लेन-देन और वित्तीय समावेशन ने भारत की आर्थिक प्रगति को संकटों में भी संभाल रखा है। अप्रैल 2025 में यूपीआई ने अकेले एक महीने में लगभग 1,867.7 करोड़ के लेन-देन किए जिनकी कुल वैल्य वैल्यू 24.77 लाख करोड़ थी। यूपीआई अब करीब 460 मिलियन (6.5 करोड़) व्यापारियों द्वारा उपयोग किया जा रहा है। इसके साथ ही सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग (एमएसएमई) के माध्यम से स्वरोजगार का व्यापक विस्तार दिख रहा है। आत्मनिर्भर भारत के तहत लागू पीएलआई योजनाओं ने घरेलू मैनुफैक्चरिंग को बढ़ावा दिया है।
नरेन्द्र मोदी जी का देश के प्रधानमंत्री के रूप में यह तीसरा कार्यकाल है। ‘सबका साथ, सबका विकास’, महज चार शब्दों का नारा नहीं, बल्कि एक वास्ताविकता है, जिसे देश की जनता ने बीते सालों में पूरी शिद्दत के साथ अनुभव किया है। आत्मनिर्भरता हासिल करने के लिए वर्तमान सरकार द्वारा किए गए सेवा कार्यों की सूची बनाना शुरू करें, तो यह बहुत लंबी हो जाती है। इन कार्यों में जो सर्वाधिक महत्व्पूर्ण हैं, उनमें पहला है डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर योजना। इसने सरकारी राहतों और लाभान्वितों के बीच की दूरी को पाटते हुए उन तमाम बिचौलियों को बाहर का रास्ता दिखाया, जो राहत राशि का एक बड़ा हिस्सा बीच में ही खा जाते थे, और उसका एक बहुत छोटा हिस्सा ही वास्तविक लाभार्थी को मिल पाता था। इससे न सिर्फ अधिक लोगों को लाभ हुआ, बल्कि बीच के भ्रष्टाचार और सुस्त गति से भी निजात मिली।
अगला सबसे बड़ा उदाहरण श्री नरेंद्र मोदी जी की पहल पर आरंभ प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना है। जो विश्व की सबसे बड़ी स्वास्थ्य योजना है। दस करोड़ से अधिक लोगों को गैस सिलेंडर पर सब्सिडी प्रदान करने वाली उज्जवला योजना है, जो वर्ष 2016 से चल रही है। 2017 में लॉन्च सौभाग्य योजना है, जिसके तहत हर घर में बिजली पहुँचाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था। स्वास्थ्य, ईंधन और बिजली के अलावा आम जन को जिस चीज की सबसे ज्यादा जरुरत होती है, वह है पीने के लिए स्वच्छ जल। ‘हर घर नल’ के नाम से लोकप्रिय, केन्द्र सरकार का जल जीवन मिशन इस दिशा में एक बहुत सशक्त और महत्वाकांक्षी पहल है।
सिर्फ 20 रुपये के सालाना प्रीमियम पर दो लाख रुपये की दुर्घटना बीमा योजना, सालाना 436 रुपये में दो लाख रुपये की प्रधानमंत्री जीवन सुरक्षा योजना, अंत्योदय अन्न योजना, प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना, प्रधानमंत्री श्रम योगी मान धन योजना, पीएम किसान सम्मान निधि, हाउसिंग फॉर ऑल, ऐसी दर्जनों योजनाएं और कार्यक्रम हैं, जो केन्द्र सरकार द्वारा आम आदमी के हित को ध्यान में रखकर चलाए जा रहे हैं। इनसे करोड़ों लोग लाभान्वित हुए हैं और हो रहे हैं।
अंत्योदय से ही आएगी आत्मनिर्भरता- केंद्र सरकार की यह योजनाएं साक्षी हैं इस बात की कि प्रधानमंत्री ने पंडित दीनदयाल उपाध्याय के अंत्योदय के विचार को अमली जामा पहनाते हुए गति और गुणवत्ता, दोनों का ध्यान रखते हुए यह सुनिश्चित किया है कि सरकार की योजनाओं और पहल का लाभ समाज के अंतिम छोर पर बैठे व्यक्ति तक पहुँच सके। एक सशक्त और कुशल नेतृत्व किस तरह एक विचार को राष्ट्रीय आंदोलन में बदल सकता है, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा चलाये गए ‘स्वच्छ भारत अभियान’, ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’, ‘जन धन योजना’ जैसे अनगिनत अभियानों व योजनाओं की सफलता इसका प्रत्यक्ष उदाहरण है। ‘जन धन योजना’ उस आबादी के लिए किसी वरदान से कम नहीं थी, जिसकी आजादी के 67 साल बाद भी बैंकिंग सेवाओं तक पहुँच नहीं थी। 28 अगस्त को ‘जन धन योजना’ की शुरुआत की गई और प्रधानमंत्री का आह्वान इतना प्रभावशाली साबित हुआ कि इस योजना के तहत सिर्फ एक साल के भीतर ही 19.72 करोड़ बैंक खाते खुल गए थे। जिनमें करीब 29 हजार करोड रुपए जमा हुए। इसी उत्साीह का नतीजा था कि जन धन के अंतर्गत एक सप्ताह में सबसे अधिक बैंक खाते खोले जाने का गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड भी बना। ‘स्वच्छ भारत’ तो अपने आप में एक ऐसा अद्वितीय अभियान है, जिसने हर देशवासी को गर्व से भर दिया है। स्वच्छ भारत मिशन की आशातीत सफलता ने हमें आश्वस्त किया है कि हम भारतवासी अपने कर्तव्यों के लिए कितने सजग व संवेदनशील हैं। इसी तरह ‘खेलो इंडिया’, ‘फिट इंडिया’ जैसे अनगिनत जनजागृति वाले अभियानों की सफलता हमारे सामने है। जो यह साबित करती है कि अगर नेतृत्व में इच्छाशक्ति व कल्पनाशक्ति है, तो कोई लक्ष्य असंभव नहीं है। मुद्दा कोई भी रहा हो, प्रधानमंत्री मोदी जी की मौलिकता और उद्देश्यों की शुचिता ने उसे जन जागरण में बदल दिया है।
सर्वांगीण विकास से ही सपने होंगे पूरे- ऐसे ही, भविष्य में सामने आने वाले ऊर्जा संकट के लिए हमने राष्ट्रीय हरित ऊर्जा मिशन लॉन्च किया है। इस मिशन के माध्यम से वर्ष 2030 तक देश में लगभग 125 गीगावाट की संबद्ध अक्षय ऊर्जा क्षमता वृद्धि हासिल की जा सकेगी और साथ ही प्रति वर्ष ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन क्षमता में कम से कम पांच मिलियन मीट्रिक टन की बढ़ोत्तरी होगी। राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन ऊर्जा मिशन के यूं तो बहुत सारे लाभ हैं, लेकिन इनमें कुछ तो बहुत ही महत्वपूर्ण हैं। एक, इससे हमारे जीवाश्म ईंधन के आयात पर होने वाले खर्च में एक लाख करोड़ रुपये से अधिक की बचत होगी। दूसरा, कुल ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन में हर साल पचास मिलियन मीट्रिक टन की कमी आएगी। तीसरा, इसकी वजह से छह लाख से अधिक नए रोजगारों का सृजन भी होगा। अनुमान है कि अगले सात सालों में भारत में ग्रीन हाइड्रोजन बाजार का आकार 2030 तक आठ अरब डॉलर तक पहुंच सकता है। इसके साथ ही सोलर एनर्जी का भारत अब बड़ा उत्पादक है।
भ्रष्टाचार भारत के लिए हमेशा से एक बड़ी समस्या है। पूर्ववर्ती सरकारों के कार्यकाल में समाज में हर पायदान पर मौजूद भ्रष्टाचार ने न सिर्फ देश के विकास की गति को बाधित किया, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की छवि भी बहुत धूमिल की है। लेकिन, प्रधानमंत्री मोदी की भ्रष्टाचार को लेकर जीरो टॉलरेंस की नीति और सरकारी कामकाज में पारदधर्शिता व जवाबदेही सुनिश्चित करने को लेकर कटिबद्धता ने देश की वैश्चिक स्तर पर साख बढ़ाई है। आज भी नए उद्यमियों के सामने अनेक संकट हैं जिनमें लाल फीताशाही सबसे बड़ी है। लेकिन सुखद यह है कि सरकार संवेदनशीलता के संकटों को हल करना चाहती है। जीएसटी को लेकर हुए निरंतर सुधार इसका उदाहरण हैं कि सरकार नीतियों जनसर्मथक और लोकोपयोगी बनाना चाहती है। सच कहें तो आत्मनिर्भरता वास्तव में वातावरण और सरकारी नीतियों पर ही निर्भर करती है। नया भारत नई नजर से दुनिया को देख रहा है और आर्थिक क्षेत्र में नई उड़ान के लिए तैयार है। समाज, सरकार, शिक्षा संस्थान सभी मिलकर इस वातावरण को बनाने में सहयोगी हो सकते हैं, इससे भारत को विश्व शक्ति, आर्थिक शक्ति बनने से कोई नहीं रोक सकता। उम्मीद की जानी चाहिए कि हम सब मिलकर आत्म निर्भर भारत का स्वप्न साकार करेंगे।
लेखक भारतीय जन संचार संस्थान, नई दिल्ली के पूर्व महानिदेशक है।




