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CCSU मेरठ महिलाओं और बेटियों को बना रहा आत्मनिर्भर

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मेरठ, उत्तर प्रदेश

कहते हैं हुनर मिल जाए, तो हालात भी बदल जाते हैं और CCSU मेरठ की ये बेटियाँ इसका सबसे बड़ा उदाहरण हैं। चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय कैंपस के सर छोटू राम इंजीनियरिंग इंस्टिट्यूट।  यही है वो जगह जहां 24 महिलाएँ और बेटियाँ, बैडमिंटन रैकेट बनाना सीखकर हर महीने कमा रही हैं 8 हजार रुपये। केंद्र सरकार के कौशल विकास मंत्रालय के सहयोग से बना ये ट्रेनिंग सेंटर आर्थिक रूप से कमजोर महिलाओं के लिए उम्मीद की एक नई रोशनी बन गया है। यहां प्रशिक्षण ले रहीं प्रीति का कहना है कि घर के हालात ठीक नहीं थे। लेकिन यहाँ आकर बैडमिंटन बनाना सीख लिया है। अब अपना काम शुरू कर परिवार को आर्थिक संबल दूंगी। वहीं यशिका का कहना है कि पहले कुछ प्लान नहीं कर पाती थी, अब रैकेट बनाकर सीखकर मैं भी अपना बिजनेस करूंगी। सपना, पायल, मनिषा ये सिर्फ ट्रेनिंग नहीं ले रहीं, बल्कि एक बड़ा सपनों का कारखाना तैयार कर रही हैं। अब हालात ऐसे हैं। पहले वे सीखती थीं। आज औरों को ट्रेनिंग दे रही हैं! नेशनल स्किल डेवलपमेंट काउंसिल ने यहां रैकेट बनाने की बड़ी यूनिट बनाई है। ताकि हुनर से रोजगार, और रोजगार से खुद का ब्रांड तैयार हो। अगला लक्ष्य यहां बनी चीजें बड़े पैमाने पर बिकें और एक्सपोर्ट भी हों ये सिर्फ बैडमिंटन रैकेट नहीं ये कहानियाँ हैं, हौसले की, उम्मीद की और उन बेटियों की जिन्होंने मेरठ से शुरू किया है आत्मनिर्भर भारत का नया अध्याय।