देश में बढ़ते ईसाई
प्रभाव पर श्रीगुरुजी की चिंता
श्री गुरुजी सन 1963 में अजमेर (राजस्थान) के प्रवास पर गए हुए थे।
अजमेर आर्य समाज के नेताओं के विशेष आग्रह पर नगर आर्य समाज में वैदिक मन्त्रों
द्वारा सामूहिक हवन के पश्चात् उपस्थित नागरिकों को दिए अपने उद्बोधन में वे कहते
हैं, "हमारे देश में अन्य
धर्मावलम्बियों का प्रभाव बढ़ रहा है। अपने देश में झारखण्ड नाम का विशाल वन्य
प्रदेश है जिसमें रांची जिला तथा उड़ीसा का बहुत बड़ा वन्यक्षेत्र सम्मिलित है।
उसमें ईसाइयों का प्रबल प्रभाव है। उस क्षेत्र में मानव सेवा के नाम पर पाठशालायें,
औषधालय खोलकर वन्य प्रदेश के लोगों में वे अपना
जाल फैला रहे हैं। वहां जीवन लगाते हुए, विशुद्ध भाव से धर्म-भाव, राष्ट्र-भाव जगाकर उनकी
(वनवासियों) पवित्र भावनाओं को जगाने की आवश्यकता है। यह कार्य मिशनरी स्पिरिट से
करना चाहिए। यह केवल आर्य समाज ही नहीं अपितु हम सब का कर्तव्य है। हम निस्वार्थ
भाव से कार्य करें।
।। श्री गुरूजी
व्यक्तित्व एवं कृतित्व, डॉ. कृष्ण कुमार बवेजा,
पृष्ठ- 111-112 ।।




