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शताब्दी वर्ष कार्यक्रमों पर विस्तृत चर्चा होगी

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नई दिल्ली

शताब्दी वर्ष के कार्यक्रमों की योजना और आगे की रणनीति पर विस्तार से होगी चर्चा


राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की तीन दिवसीय अखिल भारतीय प्रांत प्रचारक बैठक 04 से 06 जुलाई, 2025 तक केशव कुंज (दिल्ली) में आयोजित की जाएगी। इस बैठक में मुख्य रूप से संगठनात्मक मामलों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। यह कोई निर्णय लेने वाली बैठक नहीं है। इस बैठक में विभिन्न प्रांतों में संगठनात्मक कार्यों की प्रगति और अनुभवों पर चर्चा की जाएगी। बैठक में विभिन्न कार्य विभागों के कामकाज पर भी चर्चा की जाएगी । बैठक में पूज्य सरसंघचालक जी एवं माननीय सरकार्यवाह जी की उपस्थिति रहेगी , जिनका मार्गदर्शन सभी कार्यकर्ताओं को प्राप्त होगा।

बैठक में संघ से जुड़े 32 संगठनों के सभी सह-सरकार्यवाह , कार्य विभाग प्रमुख एवं अखिल भारतीय संगठन मंत्री उपस्थित रहेंगे। आरएसएस के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील अम्बेकर जी ने आज केशव कुंज में मीडिया से बातचीत में आगामी बैठक के एजेंडे के बारे में जानकारी साझा की। उनके साथ सह प्रचार प्रमुख नरेंद्र ठाकुर और प्रदीप जोशी भी थे। उन्होंने बताया कि मार्च से अब तक देशभर में 100 प्रशिक्षण वर्ग (प्रशिक्षण शिविर) आयोजित किए जा चुके हैं। इनमें से 75 प्रशिक्षण वर्ग 40 वर्ष से कम आयु के स्वयंसेवकों के लिए थे , जबकि 25 प्रशिक्षण वर्ग 40 से 60 वर्ष की आयु के स्वयंसेवकों के लिए थे। इन प्रशिक्षण शिविरों के दौरान सेवा विभाग सहित विभिन्न कार्य विभागों ने केंद्रित प्रशिक्षण दिया। स्वयंसेवक स्थाई प्रकल्प (स्थायी सेवा परियोजनाओं) में भी शामिल हैं और आपदाओं के दौरान राहत कार्यों में सक्रिय रूप से भाग लेते हैं। उदाहरण के लिए, उन्होंने पुरी जगन्नाथ रथ यात्रा और अहमदाबाद विमान दुर्घटना की घटना के दौरान योगदान दिया। उन्होंने बताया कि इस बैठक का मुख्य विषय शताब्दी वर्ष है ।

सभी प्रांतों ने अपनी-अपनी योजनाएँ तैयार की हैं, जिन पर विस्तार से चर्चा की जाएगी। बैठक के बाद इससे संबंधित जानकारी साझा की जाएगी। शताब्दी वर्ष की औपचारिक शुरुआत 2 अक्टूबर को विजयादशमी उत्सव के साथ नागपुर में पूज्य सरसंघचालक जी की उपस्थिति में होगी । इसके बाद शताब्दी वर्ष के आयोजन पूरे एक साल तक जारी रहेंगे। उसी दिन देशभर में शाखा , मंडल और बस्ती (इकाई, सर्किल और मोहल्ला) स्तर पर समारोह आयोजित किए जाएंगे। विशेष अभियान के तहत स्वयंसेवक गृह संपर्क अभियान चलाएंगे , जिसमें वे घर-घर जाएंगे, संघ साहित्य वितरित करेंगे और चर्चाएं करेंगे। देश भर में नगर / खंड स्तर पर सामाजिक सद्भाव बैठकें आयोजित की जाएंगी। समाज के विभिन्न वर्गों के लोग सामाजिक बुराइयों को दूर करने और सद्भाव और एकता को बढ़ावा देने के लिए विचार-विमर्श करने के लिए एक साथ आएंगे। इसके अलावा, जिला केंद्रों पर प्रमुख नागरिक गोष्ठी (प्रतिष्ठित नागरिक सेमिनार) आयोजित किए जाएंगे। इन सभाओं में हिंदुत्व , राष्ट्रहित और भविष्य के भारत के दृष्टिकोण के बारे में बातचीत होगी । शताब्दी वर्ष के मद्देनजर युवाओं की भागीदारी पर ध्यान केंद्रित करते हुए विशेष कार्यक्रम भी आयोजित किए जाएंगे । उन्होंने आगे बताया कि शताब्दी वर्ष के लिए पूजनीय सरसंघचालक जी की प्रवास योजना पर भी चर्चा होगी ।

सरसंघचालक जी के साथ विशेष संवाद कार्यक्रम चार प्रमुख शहरों - दिल्ली, मुंबई, कोलकाता और बेंगलुरु में आयोजित किए जाएंगे, जहां समाज के प्रतिष्ठित सदस्यों को आमंत्रित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि संघ के बारे में जानने और उससे जुड़ने के लिए समाज में उत्सुकता और उत्साह बढ़ रहा है । बड़ी संख्या में युवा संघ से जुड़ने में रुचि दिखा रहे हैं। इस साल प्रशिक्षण वर्गों में युवाओं की अच्छी खासी भागीदारी रही। इसके अलावा, अप्रैल से जून के बीच 28,571 लोगों ने "ज्वाइन आरएसएस" प्लेटफॉर्म के माध्यम से ऑनलाइन पंजीकरण कराया। उन्होंने यह कहते हुए समापन किया कि शताब्दी वर्ष को ध्यान में रखते हुए , आरएसएस ने पंच परिवर्तन की एक परिकल्पना प्रस्तुत की है , जिसका उद्देश्य सामूहिक भागीदारी के माध्यम से सकारात्मक सामाजिक परिवर्तन लाना है। इस परिकल्पना में सामाजिक समरसता को बढ़ावा देना , पर्यावरण के अनुकूल जीवन शैली को प्रोत्साहित करना, स्वबोध के गौरव को बढ़ावा देना , परिवारों के भीतर पारिवारिक बंधन और सांस्कृतिक मूल्यों को मजबूत करना ( कुटुम्ब में आत्मीयता और संस्कार ), और नागरिक कर्तव्य को पूरा करने के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाना शामिल है। आरएसएस के स्वयंसेवक इस परिकल्पना को आगे बढ़ाने के लिए समाज के साथ मिलकर काम करेंगे।