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सिंदूर : शौर्य, संस्कृति और संस्कार की संतानें

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  • जब बेटियाँ बनीं ‘सिंदूर’… 
  • कुशीनगर की धरती से गूँजा राष्ट्रभक्ति का मंत्र!

 कुशीनगर, उत्तर प्रदेश : जब पहलगाम की घाटियों में सुहागिनों का सिंदूर लहू में बहा, तब राष्ट्र ने शपथ ली कि हर बूँद का हिसाब होगा। 7 मई 2025 को भारतीय वायुसेना ने 22 मिनट में पाकिस्तान में आतंक के 9 अड्डों को राख कर दिया। मिशन का नाम था — ‘ऑपरेशन सिंदूर’। यह मात्र एक कोडनेम नहीं था, यह उन शहीद पतियों की विधवाओं की मांग से मिटे सिंदूर का प्रतिशोध था। यह एक सैन्य प्रतिक्रिया से बढ़कर, राष्ट्र की संस्कृति और नारी-सम्मान की पुनर्स्थापना थी। यह संदेश था कि भारत न केवल दुश्मनों को करारा जवाब देता है, बल्कि वह हर आँसू, हर क्षति का अर्थ समझता है और उसकी स्मृति में न्याय लिखता है।

‘ऑपरेशन सिंदूर’ की गूंज से जन्मा नया युग।

इस ऐतिहासिक विजय की सन्देश मात्र रणभूमि तक सीमित नहीं रहा, यह सन्देश पहुँचा उस धरती तक जहाँ शान्ति, श्रद्धा और संस्कार पलते हैं। उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में, इस पराक्रम की प्रतिध्वनि ऐसी हुई कि 17 माताओं ने अपनी नवजात बेटियों को नाम दिया — ‘सिंदूर’। उनके परिजनों का कहना है कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की सफलता के बाद सिंदूर केवल एक शब्द नहीं अपितु एक राष्ट्रभक्ति की भावना और जन-जन की प्रेरणा बन गया है। इसलिए उन्होंने अपनी बेटियों का नाम सिंदूर रखने का निर्णय किया है।

यह नाम अब सुहागिन की मांग के सौभाग्य के साथ ही राष्ट्रप्रेम और आत्मगौरव की जीवन्त प्रतिमा बन चुका है। भारतीय परम्परा में सिंदूर सौभाग्य का प्रतीक है पर जब शत्रु उसी पर आघात करे, तो वही चिह्न शौर्य का चिह्न बन जाता है। जब कन्या का नाम 'सिंदूर' रखा गया, तो यह स्पष्ट हो गया कि यह मात्र एक पहचान नहीं, अपितु एक प्रेरणा है एक ऐसा आह्वान, जिसमें रानी लक्ष्मीबाई, दुर्गावती और अहिल्या बाई की स्मृति जीवित है।

नारी शक्ति के माध्यम से राष्ट्रनिर्माण का संकल्प

जब एक माँ ने अपनी बेटी को 'सिंदूर' नाम दिया तो उसने उसे मात्र जीवन नहीं, एक कर्तव्य सौंपा है — माँ भारती की रक्षा में एक भूमिका। यह नाम उस मातृभूमि के प्रति प्रण है, जिसकी रक्षा के लिए देश का हर कण समर्पित है। यह घोषणा है कि भारत की बेटियाँ गृहलक्ष्मी होने के साथ ही राष्ट्रलक्ष्मी भी हैं। कुशीनगर की धरती से उठी यह चेतना अब देश के हर कोने तक पहुँचे और प्रत्येक नारी को यह अनुभूति हो कि वह मात्र जीवन नहीं, उत्तरदायित्व लेकर जन्मी है।