मेरठ, उत्तर प्रदेश
जब दीमक से बचने के लिए जहरीले रसायन जमीन और हवा को नुकसान पहुँचा रहे हों, तब एक ऐसा उपाय जो न जहरीला हो, न महँगा और ऊपर से पर्यावरण के लिए भी फायदेमंद हो – सचमुच बड़ी बात है। मेरठ के चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने केले के सूखे पत्तों से एक खास नैनोपार्टिकल बनाया है, जो पूरी तरह से प्राकृतिक, सुरक्षित और दीमक के खिलाफ बहुत असरदार है। इस नैनोपार्टिकल का सिर्फ 1% घोल दीमकों पर इतना तेज असर करता है कि 5 से 15 मिनट में वो खत्म हो जाते हैं और एक महीने तक दोबारा नहीं लौटते। इस खोज के लिए वैज्ञानिकों को भारतीय पेटेंट भी मिला है। सबसे खास बात ये है कि यह तरीका ना तो ज जहरीला है, ना ही महँगा और इसे घरों, खेतों और लकड़ी के सामानों में आसानी से इस्तेमाल किया जा सकता है। यह शोध सिर्फ दीमकों से लड़ने का तरीका नहीं, अपितु एक हरित तरीका है जो प्रकृति को भी बचाता है और इंसानों के लिए भी सुरक्षित है। केले के पत्ते जो अब तक बेकार समझे जाते थे, अब पर्यावरण के दोस्त और दीमकों के दुश्मन बन गए हैं।