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'ऑपरेशन कालनेमि' का बड़ा असर, 150 से ज्यादा ढोंगी अरेस्ट

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उत्तराखण्ड

उत्तराखण्ड को देवभूमि कहा जाता है, जहां हिन्दू धर्म के तीर्थ और आश्रम बसे हैं, जहां साधु-संत तप करते हैं और जहां लाखों श्रद्धालु आस्था लेकर आते हैं। लेकिन पिछले कुछ वर्षों में धीरे-धीरे इस आस्था की धरती पर धोखे, पाखंड और मजहबी घुसपैठ का जाल फैलने लगा है। कुछ लोग साधु-संतों की वेशभूषा पहनकर यहां आकर बस गए हैं, जो न तो हिन्दू धर्म के अनुयायी हैं और न ही किसी तपस्या या सेवा से जुड़े हैं। ये लोग केवल धर्म के नाम पर भोली जनता को ठगते हैं, और हिन्दू धर्म की गरिमा को ठेस पहुंचाते हैं। इसलिए इस बढ़ती समस्या को देखते हुए उत्तराखंड सरकार ने एक कड़ा कदम उठाया है  जो है— ‘ऑपरेशन कालनेमि’ बता दें मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर इस ऑपरेशन की शुरुआत की गई है, जिसका उद्देश्य साफ है — धर्म की आड़ में चल रहे मजहबी छल और पाखंड का विनाश करना। इस अभियान पुलिस ने तीन जिलों में एक साथ कार्रवाई की और 134 ढोंगियों को गिरफ्तार किया। इनमें हरिद्वार से 45, देहरादून से 23 और ऊधम सिंह नगर से 66 लोग शामिल हैं। इससे पहले शुक्रवार को 25 ढोंगी पकड़े गए थे, जिनमें एक बांग्लादेशी नागरिक भी शामिल था। पुलिस के अनुसार, इन सभी के खिलाफ पुलिस एक्ट और शांति भंग करने की धाराओं में मामला दर्ज किया गया है। सरकार की यह कार्रवाई केवल कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए नहीं है, बल्कि यह एक संदेश भी है कि अब देवभूमि को मजहबी पाखंड और ठगी का अड्डा नहीं बनने दिया जाएगा। आस्था को व्यापार बनाने वालों, धर्म के नाम पर गुमराह करने वालों और हिन्दू प्रतीकों का दुरुपयोग करने वालों पर अब कड़ी कार्रवाई होगी। यह अभियान न केवल पाखंडियों का पर्दाफाश कर रहा है, बल्कि उत्तराखंड की धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान को सुरक्षित रखने की दिशा में एक अहम कदम है।

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