• अनुवाद करें: |
मुख्य समाचार

12 साल बाद लौट आई पहाड़ की ‘सुपरफूड’ कौणी

  • Share:

  • facebook
  • twitter
  • whatsapp

रुद्रप्रयाग, उत्तर प्रदेश 

पहाड़ों में लगभग विलुप्त हो चुकी पौष्टिक मोटे अनाज की परंपरा को एक बार फिर नया जीवन मिला है। रुद्रप्रयाग जिले के हरियाली वैली में 12 वर्षों बाद कौणी यानी कंगनी की खेती शुरू हुई है। इसे संभव बनाया है युवा किसान गगन सिंह चौधरी ने, जिन्होंने ट्रायल के तौर पर 15 किलो बीज उगाकर यह साबित कर दिया कि पारंपरिक खेती अभी भी पहाड़ के भविष्य को बदल सकती है। कौणी स्वाद और पोषण का खजाना है। इसमें फाइबर भरपूर होता है, जो मधुमेह और मोटापे में मदद करता है, साथ ही कोलेस्ट्रॉल नियंत्रित कर हृदय रोग से बचाव करता है। छोटे बच्चों और गर्भवती महिलाओं के लिए यह बेहद उपयोगी भोजन माना जाता है। इसके एंटीऑक्सीडेंट गुण कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों से लड़ने में सहायक हैं। आज पलायन, जंगली जानवरों का आतंक और आधुनिक बीजों का चलन पारंपरिक खेती को समाप्त कर रहा है। ऐसे समय में गगन का प्रयास न केवल खेती को बढ़ावा देगा अपितु पहाड़ की संस्कृति, स्वास्थ्य और स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी मजबूत करेगा। जंगली जानवरों से संघर्ष कर उन्होंने बामुश्किल अपनी फसल बचाई। यह देखकर उनकी माँ भी भावुक हो उठीं। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि सरकार और कृषि विभाग गगन जैसे युवाओं का साथ दें तो हरियाली वैली को 'मिलेट वैली' के रूप में विकसित कर स्वरोजगार और पोषण सुरक्षा का नया अध्याय लिखा जा सकता है। कौणी की वापसी केवल खेती की बात नहीं, बल्कि पहाड़ की आत्मा को फिर से जागृत करने का प्रयास है एक ऐसी पहल, जो परंपरा, स्वास्थ्य और आजीविका तीनों को साथ लेकर आगे बढ़ सकती है।

कंगनी अनाज