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श्री गुरु तेग बहादुर जी ने समाज को जागृत कर अत्याचार के खिलाफ संघर्ष का संदेश दिया – डॉ. कृष्ण गोपाल जी

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बरेली

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसमें सिक्ख समाज के बंधु विशेष रूप से उपस्थित रहे। गोष्ठी में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह डॉ. कृष्ण गोपाल जी मुख्य वक्ता रहे। अर्बन हाट ऑडिटोरियम में आयोजित गोष्ठी में सह सरकार्यवाह जी ने कहा कि श्री गुरु तेग बहादुर जी भारतीय परंपरा के दैदीप्यमान नक्षत्र हैं। गुरु महिमा और परंपराओं को समझकर उनके रास्तों को अपना कर ही कुरीतियों व भेदभाव का समाप्त किया जा सकता है। और राष्ट्र के विकास का मार्ग प्रशस्त हो सकता है।

गोष्ठी का शुभारंभ सह सरकार्यवाह डॉ. कृष्ण गोपाल जी, कार्यक्रम अध्यक्ष व गुरू सिंह सभा गुरुद्वारा मॉडल टाउन के अध्यक्ष मलिक सिंह कालरा, विशिष्ट अतिथि व सेंट्रल गुरू पूरब कमेटी के अध्यक्ष परमजीत सिंह ओबराय ने मां भारती व गुरु तेग बहादुर जी के चित्र के समक्ष पुष्पार्चन कर किया।

डॉ. कृष्ण गोपाल जी ने कहा कि हमारे देश की एक परंपरा है, वह अनूठी है, अद्भुत है। समय के अनुकूल परंपराएं बनती और बिगड़ती हैं देश-काल-परिस्थितियों के अनुरूप। देश या समाज में जब-जब कोई विकृति आती है, तब कोई ना कोई दिव्य आत्मा अवतरित होती है और वह समाज की दशा और दिशा तय करती है। ईश्वर सबमें एक है, यही हमारी सनातन परंपरा का मूल मंत्र है। मनुष्य को मनुष्य से भेदभाव नहीं करना चाहिए। जब मुगल देश में आक्रांता के रूप में आए, बाबर से लेकर औरंगजेब तक का समय बेहद विषम था। धर्म पर, मंदिर पर, मठों पर और मानवता पर बड़े हमले हुए। उसी कालखंड में गुरु नानक देव जी का जन्म हुआ जो संत परंपरा से आते थे। गुरु नानक देव जी ने भ्रमण कर एक ही संदेश दिया कि ईश्वर एक है।


सह सरकार्यवाह जी ने समस्त गुरुओं की महिमा का गुणगान किया तथा बताया कि सिक्ख समाज ने अत्याचार के खिलाफ संघर्ष की सीख दी, धर्म-संस्कृति की रक्षा के लिए खुद बलिदान दिया। उन्होंने विशेषकर श्री गुरु तेग बहादुर जी का उल्लेख किया। उनकी शहादत के 350 वर्ष हो गए। उन्हीं के बेटे थे गुरु गोविंद सिंह जी, जिन्होंने खालसा धर्म की स्थापना की। श्री गुरु तेग बहादुर जी का पूरा जीवन समाज को कुरीतियों से मुक्त करने और अत्याचार से संघर्ष का रहा। मुगलों के अत्याचार से आतंकित समाज को संघर्ष करने का संदेश दिया। समाज को जागृत किया, एकत्र किया। राष्ट्र के लिए एकजुट होकर लड़ने के लिए प्रेरित किया। इस्लाम कबूल नहीं किया, बलिदान दे दिया। हम सभी को कृतज्ञ होना चाहिए।

आज समय की मांग है कि सामाजिक भेदभाव को समाप्त कर सभी एकजुट हों। सामाजिक भेदभाव हमारी बड़ी समस्या है। युवा हमारी संपदा हैं, मगर नशा दूसरी बड़ी समस्या है। पंजाब में 33 लाख लोग शिकार हुए हैं। हम अपने नौजवानों को बचाएं। डॉ. कृष्म गोपाल जी ने सभी स्वयंसेवकों व समाज से आह्वान किया कि गुरु तेग बहादुर जी के जीवन के आदर्शों का स्मरण करें व अपने जीवन का निर्माण करें।

कार्यक्रम अध्यक्ष मलिक सिंह कालरा ने संवाद के प्रयोग को सार्थक बताया तथा कहा कि 1984 के सिक्ख दंगे के दोषियों को तत्काल सजा देनी चाहिए। सिक्ख बंदी रिहा हों। उन्होंने सिक्ख समाज से जुड़े अन्य कई विषय भी उठाए।